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(२२] सिद्धपुर पाटण) का राजा बौद्ध है. सोनेका किरीट सिरपर पहनता है. घोडेपर बहुत सवार होता है, हिन्दुस्तानके आदमी बडे इमानदार है। अगर कोइ किसी अपने कर्जदार के गिर्देहल्का खिंच देता है जब तक वह कर्जदार कर्ज अदा या इजाजत हांसिल नही करता हल्के से बाहिर नहीं निकल सकत । गोशतके लिये कोइ जानवर नहीं मारा जाता गाय बैलांको बुढापेमेंभी खानेको मिलता है। ( बौद्धसे वाचक महाशय जैनही समझें क्यों किग्रंथकर्त्ताने स्वयंही ग्रंथ के ९ वें पृष्टमें लिखा है कि )-"हमने जो जैन न लिख कर गौतमके मतवालोंको बौद्ध लिखा उसका प्रयोजन केवल इतना ही है कि-उनको दूसरे देशवालेांने बौद्धके नामसे ही लिखा है, जो हम जैनके नामसे लिखें तो बडा भ्रम पड जायगा ( इतिहास तिमिरनाशक खंडतीसरा । पृष्ट ५४)
* गौतम-श्री महावीरस्वामीके सबसे बड़े शिष्यका नाम था जिसको जैन जाति "गौतम स्वामी" इस नामसे पहचानती है ।
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