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(५४] इस बातको सुन कर श्री सोनीने फिर उसे लाख रुपये दिलवाये।
- -- ट्रॅक-कुमारपाल भूपाल. सभ्य संसारको महाराज कुमारपालका परिचय दिलाना-सूर्यको दीवा दिखानेकी उपमा है. कौन जैसा मनुष्य है जिसने इतिहासका थोडा बहुतभी ज्ञान प्राप्त किया हो । और कुमारपालसें अपरिचित हो ? परंतु हैं सृष्टिमें औसेभी कतिपय मनुष्यकि जिन्होने अपने घरोंकी राम कहानियां सुन सुनही. जीवनको इतिश्री तक पऊंचा दिया है, उन विचारे पायः स्वसांप्रदायिक गोष्ठिप्रिय मनुष्योंकी कर्णग द्वरातक इस कीर्तिकौमुदिक यशस्त्रि राजाधिराजकी कथाका अंशभी उपकारी है, यह समझ कर सोलंकी कुल तिलक "उस त्रिभुवनपालक" महामंडलेश्वर-राजा कुमारपालका स्खला परंतु सर्व जनोपयोगि शब्दोंमे परिचय दिलाया जाता है.
प्रबंधचिन्तामणिसे पता मिलता है कि वि.सं.११२८ की चैत्र कृश्न सप्तमी सोमवार हस्तनक्षत्र और नमी
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