Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijayji Free Jain Library

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Page 129
________________ [११८] की तरह हर्षको प्राप्त हुए । धर्म देशनाका आरंभ हुआ जिन वचन सामान्य वक्ताकी जुबानसे निकले हुएभी श्रोताके हृदयको विमलता पहुंचाते है तो भला देव देवेन्द्र वंदित अतिशय ज्ञानीकी धर्म देशनाका तो कहनाही क्या था !!! ___ धन्वंतरी-लुकमान आदि पूर्वकालीन वैद्य हकी मोमे और आजके ठोक पीटकर वैद्यराज जैसे नीम हकीमोमे अंतरही क्या ? अंतर फक्त इतनाहो है कि वोह निदान पूर्वक चिकित्सा किया करते थे और : आज कालके बिचारे कितनेक नामधारी य कि जिनको अपने मतलबसेही काम है उनमे वह गुण ' नही पाया जाता इसीहो लिये उनपर मनुष्यको आस्था नही जमती । जब आस्थाहो नहीतो रोगाभाव कहांसे ? पूर्वकालके ज्ञानी गुरु मानिंद धन्वंतरीके थे । धर्मदेशनामे अनेक विषयोंकी व्याख्या करते हुए ज्ञानी महाराजने प्रसंग पाकर कहा-लोकनाथ नीकर देव जगतके परम उपकारो है, इस वास्ते उनके निर्वाण जाने के पीछे भी उनके उपकारको स. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unnaway. Surratagyanbhandar.com

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