________________
[७७] पालका विस्तृत चरित्र है, यांतो जिनहर्षका वस्तुपाल चरित्र सोमेश्वरकी कीर्तिकौमुदी सुकृत संकीर्तनका जर्मन भाषामें भाषान्तर मोफेकर डॉ. बुहलरने किया था और उसका अंग्रेजी अनुवाद, इ. एच. वरगेसने इन्डियनएन्टिवेरीमें भी प्रकाशित करवाया था ।
(१०) हम्मीरमदमदन-यह एक नाटकका ग्रन्थ है इसकी रचना वीरमरिके शिष्य जयसिंहमूरिने .वि. सं. १२८६ के करीब कीहै।
(११) कुमारविहार प्रशस्ति-इस प्रशस्तिके क.र्ता श्रीमान् वर्धमान गणोहैं तेरहवी शताद्वीमें यह बनाई है कुमारपालके बनाए हुए एक मंदिरकी यह प्रशस्ति है.
(१२) कुमारविहार शतक-इसके रचयिता रा. मचन्द्राचार्य है इसमें कुमारपालके बनाए हुए मन्दिरका वृत्तान्त है। ___ (१३) कुमारपालचरित्र-सोमेश्वर भने इसको चौदहवीं शाताद्वीमें लिखा है इसमे राजा कुमारपालका चरित्र है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unmanay. Suratagyanbhandar.com