Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijayji Free Jain Library

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Page 125
________________ [११४] ॥ काश्मीर ॥ __ काश्मीर वा जम्मु । रावी और सिन्धु नदी के बीचका इलाका शुरुसे आखीर तक काश्मीरकी राजधानी कहलाती है । युगकी आदिमे श्रीयुगादि देव ने अपने दीक्षा समयको निकट आया जानकर अपने सौ पुत्रोंको जो जो राज्य दिये थे उनमे यह मी एकथा. तदनंतर चौथे तीर्थकर श्री अभिनंदन स्वामीके शासनमे जितारि राजाने इसी देशसे श्री सिद्धाचल जीकी यात्रा के लिये संघ निकाला था. श्री नगर जो कि काश्मीरकी जम्मु के समान राजधानी कहलाती है उससे थोड़ी दूरीपर "मटठ साहिब" नामक एक प्राचीन तीर्थ स्थानमे आन चक भी आईद चैत्योंके चिन्ह सुते जाते है [ इस बातकी सत्यता के लिये-स्वर्गस्थ-श्रीयुत-राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द कालिखा "भूगोल हस्ता. मलक" देखो ] इन स्थानोको लोग कौरव पाण्डबाँके समय के बने हुए कहते है । जिस महा पुरु. पका नामनिर्देश प्रस्तुत रासमे किया गया है वह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unnaway. Surratagyanbhandar.com

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