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[६८] एक क्रोड पचीस लाख नये जिन बिम्ब वनवाये अनार्य देशोंमें जहां कि जैनधर्मको कोई नह जानता था वहां भी अपने निजके आदमियोंको भेज भेज कर धर्मकी प्रवृत्ति कराई।।
कुछ अरसा पहले जब चिकागोमें एक सार्वजनिक महासभामें संसार भरके धर्मनेता एकत्र हुए थे तब जैन धर्मके नेता समझ कर श्री मदात्मारामजी महाराज को भी आमंत्रण आयाथा पूक्ति सूरि श्री आत्मारामजी माहाराजने अपने धार्मिक अमूलांकी पाबंदीको मान देकर आप खुद न जाकर बैरिष्टर वीरचंद राघवजी गांधीको भेजाथा वीरचंद राघवजीने श्रीमान के सिद्धान्तको समझाकर और अनादिसिद्ध श्री जैनधर्मके तत्वोको बताकर उस देशके लोगोंको खूब धर्ममिय बना. याथा, गांधीजी जब लेक्चरों द्वारा उस देश को जैनधर्मकी पवित्रता एवं प्राचीनता समझा रहेथे । __इतनेमें वहांके किसी शहरमें से श्री सिद्धचक्र जीका अती प्राचीन यंत्र मिला वो वीरचंद गांधीको दिखलाया गया, और पूछा के यह क्या चीज है ?
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