Book Title: Girnar Galp
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Hansvijayji Free Jain Library

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Page 49
________________ [३८] शत्रुजय महातीर्थ के संघ काहनेका उपदेश दिया. अमात्य संघ लेकर पालीताणे गये आचार्य महाराजके सतत परिचयसें उनकी धर्म भावना और भी परिपुष्ट हो गई। ___ जब वह लौट कर पीछे आये तब गुर्जर पति वीरधवलने उन्हे अपने मंत्री पदपर प्रतिष्ठित कर लिया। अनेक इतिहासकार लिखते हैं-कि-वनराजके , पिता जयशिखरी के मारनेवाले कनोजके रानाभूवडने गुजरातकी राजधानी-जयशिखरो के मरनेके बाद अपनी लडकी मिल्लण देवीकी शादी के वक्त उसे उसके दायजेमें दे दोथी. मिल्लग देवी या. वज्जीव तक गुजरातकी आमदनी ग्वाती रहो अंत्यमें मर कर उसी अपनी पूर्वभव ..ो इष्ट राजधानोकी अधिष्टायक देवी हुई। उसने भाविकालमें म्लेच्छोंके आक्रमणसें गौर्जर प्रजाको बचाने के लिये वीर धवलको स्वप्नमें आकर-वस्तुपाल तेजपालको अपने अमात्य बनानेका उपदेश किया. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Unvanay. Suratagyanbhandar.com

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