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[३३] और उसका छोटा भाई तेजपाल दृढ जैनधर्मी थे। इन्होने १२ दफा बडे समारोह के साथ श्रीशत्रुञ्जय तीर्थकी यात्रा कीथी । तेरवींवार श्री शत्रुञ्जयतीर्थकी यात्रा करनेको जा रहेथे कि-रास्ते काठियावाढ प्रान्तमें लींबडीके पास "अंकेवाली" गाममें वस्तुपाल देवगत होगए । बस्तुपालके बनवाये आबुके जन मंदिरोंको देखनेके लिये सहस्रों कोसांसे लोग आते हैं। अंग्रेज लोग फोटो उतार २ ले जाते हैं ।
गुजरातके प्रभावशाली राजा भीमके प्रधान मंत्री विमलशाहने अगणित द्रव्य खर्चकर यहां जैन मंदिर बनवायाथा और उस मंदिरमें महाराजा संप्रतिके समयकी मूर्ति पधराकर विक्रम संवत् १०८८ मे प्रतिष्ठा करवाईथी। ___उस मंदिरको देखकर महामंत्री वस्तुपालने शोभन नामक कारीगर (जो कि-उसवक्त सूत्रधा. गेमे आला दरजेका हुश्यार समझा जाताथा ) उसको बैसाही मंदिर बना देनेका फरमान किया शोभनने अपनी मातहदके २००० कारीगरोंकों लगाकर अपनी निगाहवानी रखकर मिलताह
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