Book Title: Gaumata Panchgavya Chikitsa
Author(s): Rajiv Dikshit
Publisher: Swadeshi Prakashan

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Page 7
________________ कहा गया है। अर्थात्- गाय में सभी तीर्थों का फल है और सभी देवता हैं। इसे आज के संदर्भ में कहें तो सभी तीर्थ अर्थात् भारत के सभी भागों की मिट्टी का गुणधर्म और देव का अर्थ सभी प्रकार के तत्व हैं। ___ गाय साक्षात् धेनू है। अर्थात्- सब कुछ देने वाली है। ऋग्वेद इस धेनू की पीठ है, यजुर्वेद मध्य, सामवेद मुख और ग्रीवा, इष्टापूर्व इसके सींग और सुन्दर-सुन्दर सूक्त ही गृहस्थ धेनू के रोम हैं। इस प्रकार गाय अपने आप में संपूर्ण वेद है। जिस व्यक्ति को मोक्ष्य चाहिए। उसे साधना जरुरी है। साधना के लिए यज्ञ जरुरी है और यज्ञ के लिए घृत, गोमय, गौमूत्र जरुरी है। इसकी प्राप्ति केवल गाय से ही हो सकती है। अत: गाय के बिना मोक्ष्य नहीं। . गाय से प्राप्त तीन गव्य (गोमूत्र, गोबर और दूध) और दो उपगव्य (छाछ और घृत) को मिला दें तो इन पांचों के समूह को पंचगव्य कहते हैं। यह सदा पवित्र होता है। ऋग्वेद में इसे 'प्रथम भक्ष्य' कहा गया है। अर्थात् जन्म लेते ही सर्व प्रथम खाने योग्य। यज्ञ मीमांसा में कहा गया है - गौमूत्र में वरुण देव, गोबर में अग्नि, दुग्ध में चन्द्र, छांछ में वायु, घी में सूर्य, कुश में ब्रह्मा, और जल में साक्षात् विष्णु है। अत: पंचगव्य सदा पवित्र है। गाय और उसके विज्ञान के विस्तार को देखें तो स्पष्ट होता है कि गाय अपने आप में संपूर्ण चिकित्सा शास्त्र भी है। एक पूरा चिकित्सा विश्वविद्यालय भी है। इसी को आधार मानकर चैन्नई में अमर शहीद श्री. राजीव भाई द्वारा एक निःशुल्क पंचगव्य चिकित्सा परामर्श केन्द्र खोला गया था जो अब एक संपूर्ण चिकित्सालय में परिवर्तित हो चुका है। जहाँ सभी प्रकार के रोगों की चिकित्सा गव्यों से की जाती है। जितने भी गंभीर रोग हैं जैसे- कैंसर, मधुमेह, चर्मरोग, हृदय रोग, यौन रोग, बांझपन, एड्स, टीबी: आदि सभी रोगों में सफलता पाई गई है। स्वयं राजीव भाई ने उस चिकित्सा केन्द्र से लगभग 5 हजार से भी ज्यादा रोगियों का इलाज कर चुके हैं। जिसका पता इस प्रकार है। - पंचगव्य विभाग, सी. यू. शाह भवन, 78/79, रिथर्डन रोड, चैन्नई - . 600 007। इससे संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए panchgavya.org देखा जा सकता है। महर्षि वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केन्द्र जहाँ अभी तक 300 से भी ज्यादा प्रकार के पंचगव्य औषधियों का निर्माण किया जा चुका है। वहाँ वर्ष में तीन बार पंचगव्य विज्ञान आधारित निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है। जिसकी विस्तृत जानकारी panchgavya.org पर उपलब्ध है। ___ इस दिशा में गौशाला के प्रयास से भारत में पहली बार Diploma in Panchgavya Therapy (डिप्लोमा इन पंचगव्य थेरेपी) नाम से एक वर्ष का कोर्स शुरु होने वाला है। जो तमिलनाडु के एक विख्यात विश्वविद्यालय द्वारा प्रमाणित होगा। इस पढ़ाई को पूर्ण करने के बाद पंचगव्य का मनुष्य जीवन पर प्रयोग और पंचगव्य गौमाता पंचगव्य चिकित्सा

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