Book Title: Gacchachar Prakirnakam
Author(s): Yashratnavijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
View full book text
________________ 34 for श्रीगच्छाचारप्रकीर्णकम् // क्षान्ता दान्ता गुप्ताः, मुक्ता वैराग्यमार्गमालीनाः / दशविधसामाचारी-आवश्यक-संयमोद्यताः // 53 // व्याख्या - 'क्षान्ताः' क्षमायुक्ता गजसुकुमालवत्, 'दान्ताः' दमितेन्द्रियाः शालिभद्रादिवत्, ‘गुप्ताः' नवब्रह्मचर्यगुप्तिमन्तः श्रीस्थूलभद्रवत्, ‘मुक्ताः' न लोभयुक्ता जम्बूस्वाम्यादिवत्, 'वैराग्यमार्गमालीनाः' संवेगपथमाश्रिताः अतिमुक्तककुमारकालोदाय्यादिवत्, दशविधसामाचार्याम्=उक्तलक्षणायामुद्युक्ताः, अवश्यं कर्त्तव्यमावश्यकं यद्वा गुणानां आ समन्ताद्वश्यं करोतीत्यावश्यकं, गुणशून्यमात्मानं आ समन्ताद् वासयति गुणैरित्यावासकमनुयोगद्वारोक्तलक्षणं तत्रोद्युक्ताः तत्पराः // 53 // खर-फरुस-कक्साए, अणिठ्ठदुट्ठाइ निगुरगिराए / निब्भच्छण-निद्धाडणमाईहिं न जे पउस्संति ||54|| खरपरुषकर्कशया अनिष्टदुष्टया निष्ठुरगिरा / निर्भत्सननिर्धाटनादिभिः न ये प्रद्विषन्ति // 54 // व्याख्या - खरपरुषकर्कशया गिरा अनिष्टदुष्टया गिरा निष्ठरगिरा निर्भर्त्सननिर्धाटनादिभिश्च, मोऽलाक्षणिकः, 'ये' मुनयो 'न प्रद्विष्यन्ति' न प्रद्वेषं यान्ति ते सुसाधवो गणयोग्या इति, तत्र खरा=रे मूढ ! रे अपण्डित! इत्यादिका, परुषा=रे प्रमादिन् ! रे कुशील ! रे सामाचारीभञ्जक ! इत्यादिका, कर्कशा=रे जिनाज्ञाभञ्जक ! रे उत्सूत्रभाषक ! रे व्रतभञ्जक ! इत्यादिका, अनिष्टा=रे पापिष्ठ ! मुखं मा दर्शय, रे निर्दय ! इतो व्रज, रे वीरवचनोल्लङ्घक! स्वस्थानं कुरु इत्यादिका, दुष्टा=रे आचारतस्कर ! रे जिनप्रवचननगरप्राकारच्छिद्रकर्त्तः ! रे जिनागमकोशार्थरत्नचौर ! इत्यादिका, निष्ठुरा=रे सूत्रार्थोभयप्रत्यनीक ! रे निह्नवकुशीलसङ्गकर्तः ! रे जिनाज्ञारामच्छेदक ! इत्यादिका, निर्भर्त्सनम् अङ्गल्यादिना तर्जनं, निर्धाटनं वसतिगणादिभ्यो निष्काशनं, आदिशब्दात्तच्चिन्ताकरणादिकं, यद्वा प्रवाहेणैकार्थिका एते शब्दाः, यद्वाऽन्योऽपि यः सत्परम्परागतोऽर्थः स सङ्ग्राह्य एवेति // 54 // - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - 1. '०दुट्ठाए' D-E-F-G-H-प्रतपाठः, अत्र A-B-C-प्रतपाठः /

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182