Book Title: Dharmpariksha
Author(s): Ishwarlal Karsandas Kapadia
Publisher: Mulchand Karsandas Kapadia

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Page 12
________________ शेठ माणेकचंद अने शेठ नवलचंद साथे मुंवाईमा रहेवा लाग्या हता. शेठ चुनीलालना लग्न ११ वर्षनी उमरे जडावबाई साथे सुरतमां थयां हतां जेओ पण एटलीज उमरना हता. ___ शेठ चुनीलाले १५ वर्षनी उमरे मुंबाइमां मोती पोरववानो धंधो शीखवा मांडयो, जेमा टुंक वखतमां एटला बधा पावरधा थइ गया. के, एमने परोणीगरना धंधामां सारी कमाणी थवा लागी. शेठ चुनीलाल सं.१९५० मां पोताना मामाओ शेठ पानाचंद, शेठ माणेकचंद अने शेठ नवलचंद साथे माणेकचंद पानाचंदनी पेढी साथे भागमा जोडाया, अने पोताना मामाओ साथे घणीज कुनेह अने खंतथी व्यापार करवा लाग्या, जेथी मात्र थोडा वर्षमा शेठ चुनीलालने मोतीना व्य पारमा सारो लाभ थयो हतो. शेठ चुनीलालने त्रीश वर्षनी उमरथी धर्म उपर सारो भाव थयो हतो अने स्वाध्यायनो नियम लीधो हतो. संवत १९४२ थी १९५५ सुधीमा एमणे श्री समेतशिखरजी, गोमटस्वामी, गीरनारजी, शेजा, केशरीआजी वगेरे अनेक याताओ करी धर्मकार्यमां पैसानो सारो उपयोग को हतो, अने ए अरसामा दिन प्रतिदिन एमने धर्म उपर सारी रुची उत्पन्न थई हती. सं. १९५३ मा एमना मामा शेठ नवलचंद साथे श्री समेतशीखरजीनी यात्राए गया हता, ज्यां पोताना मामा साथे महान परिश्रम करी पगथीयां बांधवानी व्यवस्था करीने ७०५ पगथी तैयार कराव्यां हतां.

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