Book Title: Dharm Sangrahani Part 02 Author(s): Ajitshekharsuri Publisher: Adinath Jain Shwetambar Jain Mandir TrustPage 18
________________ 168 तं पुण विसयागारं तणगहणअग्गि तत्तो य तस्सऽभेदे तत्तो सुहझाणातो तत्थविय मही. तत्थवि य अत्थि तदभावम्मि य कह तदभावम्मि य कह तदभावम्मि य तदभावे ण य बंधो तदभिन्नागारत्ते तप्पडिबद्धं लिंग तब्भावम्मि वि जोगो तब्भावम्मि य नियमा तम्मत्तपदाणेणं तम्मि य वेदिज्जते तम्मि य सती अवत्ता तम्मि य सति सव्वेसिं तम्हा अवग्गहातो तम्हा असपक्खोऽयं तम्हा अभावविसया तम्हा कहंचि णिच्चो तम्हा चइउण घरं तम्हाऽतीतेणाणादिणा तम्हा न पत्तगहणं . तम्हा निग्गंथेणं तम्हा निमित्त तम्हा परिथूरातो तम्हा भोत्ता जीवो तम्हा मुत्तसंस्वा तम्हा मुत्तं कम तम्हा रागादिविवज्जिएण तम्हा सव्व परिच्छेद तव्विह खओवसमतो तव्विरहम्मि अभावो तस्स वि य तहाभावे तस्स वि य आदिभावे तस्स वि य अहेतुत्ते तस्सवि सद तस्स य खओवसमओ तस्सावगमाभावे तस्सेव य संपूयण तस्सालाभे इतरस्स तस्सेव धम्मस्वे तस्सेवऽणेगस्व. तह कम्मठितिक्खपणा तह दाहगोऽपि अग्गी तह य असव्वणुत्तं तह वनगंध ता अस्थि सस्वेणं १३२५ 322 ता आलयातो १०२७ 207 ता इय सुहबज्झ. ९१४ 167 ता इय पत्तगाहणं ९५७ 182 ता एत्थ सो निमित्तं १०९१ 232 ता एत्थ वेज्जणायं १२८६ 306 ता किं ण तं चएई ६७७ 62 ता किं वत्थरगहणं ७३८ १० ता चरमए च्चिय १०९३ 233 ता जुत्तमेव तस्सिह ११८० 263 ता जो इमस्स ६४३ 47 ता गंतसस्वा १२०२ 275 ता नियमदोसभावे ६३० 41 ता पच्चक्खेणं ७७८ 104 ता विसयगहण १०५७ 219 तित्वगरलिंगमणघं ६४६ 48 तिविहं तिविहेण जओ -७७१ 102 तीए तीए सतीए ८३० 132 तीय तीयत्तेणं ८३५ 134 तीय वि य थेवमेत्ते ११८६ 267 तीरइ य अत्तवीरिय १२२७ 285 तीरइ य अनहा १२५२ 294 तुच्छत्तं एगता १०२४ 206 तुल्लत्तं सामनं १३९४ 348 तुल्लत्थयाए किं वा १०८९ 231 तुल्ले उभयावरण. १०३२ 210 ते घेव कज्जगम्मा ५८० 17 तेणेव जतो ८३८ 135 तेणं विणावि दोसो ६०५ 27 तेणं विणा वि दोसा ६६२ 54 ते पुण ण अत्तवीरिय ७४३ 92 ते य जह णाणगम्मा ९६३ 185 ते वि अपरिमाण .१३३१ 326 तेसिंपि जओ दुक्खं ८०४ 118 तेसिं फलेण सिद्धे ११४० 249 तेसि परिच्चागातो ५५५ 5 ते सिमिह किं पमाणं ५७४ 14 तेसिमभावो तु मुसा ५७९ 16 ७१४ 78 दंडिगगह ८१८ 124 दड्डम्मि जहा बीए ६७४ 61 ददूण कंचि ६३४ 43 दद्दूण पाणिनिवहं १०४४ 214 दाणवतीणमणुमतो ९१६ 168 दिटुंतबला एवं ११९२ 271 दिवो सुओ व अत्थो ७९२ 112 दितस्स लभंतस्स ८६४ 148 दिव्यादि मेहणस्स य १३४० 330 दिसिभेयाउच्चिय ६१८ 35 दुक्खकरो चिय एवं ९१३ 166 दुक्खंपि न सोक्खस्सेव ६९६ 70 दुविहं च मोहणिज्ज ८७६ 152 दुविहं चरित्तमोहं १०९९ 235 देंतस्स हिरन्नादी ९५० 180 देवत्तं से भावंतरंति ११३१ 245 देसक्खयोऽत्थ १०५६ 219 देसेणं संबंधो १०७६ 227 देसण्णाणोवरमे ८४९ 141 देहतिणतुल्लवत्था १११७ 241 देहेणं सजोगाभावे ७०० 71 दोसाणमन्भवगमे ९२५ 171 १०८७ 231 धम्मा य धम्मिणो १२२८ 285 धम्मा य धम्मिणो ७३३ 88 धम्मा हवंति दुविहा १११३ 240 धुवभावो सिद्धाणं १००० 197 न १३१८ 318 नखणेड़ तओ १३२२ 320 नग्गत्तणमह सुत्ते ७५२ 94 नस्थिचिय खरसिंग ९३९ 175 नत्थित्तस्थि तेणं १२५१ 294 नत्थित्ते चिय एवं ७२९ 86 नत्थिय सकिरियाणं ६४७ 49 न भावी मे दोसो १२४९ 293 न य एतेसुवयारो १३४८ 333 न य णाणाण ६४० 46 नयणेतरोहि ६४९ 49 न य तं तओ १०८५ 230 न य तं सयं १०९५ 233 न य न घडइ ९४१ 176 नय भगवतावि १२३४ 287 न य भावमंतरेणं १३९३ 347 न य सुहमसुह. ९४५ 178 न य सोवलद्धि ८८५ 156 न य सोऊण पयत्थं १०६९ 225 नरविबुहेसर १२४७ 292 नवि किंचिप्पडिसिद्धं १३१६ 317 न हरंति तहाभूतं गाथाङ्क पृष्ठ नाणंतरं न इंदिय. ५९९ 24 नाणं पगासगं सोहओ १३८१ 343 नाणस्स णाणिणं ५४७ 1 नाणादि परिणति ८११ 120 नाणादिगाऽहवेसा ९९८ 196 नाणी तवम्मि निरओ ८६६ 148 नाम दुचतभेदं १२९९ 311 नामस्स य गोत्तस्स १३४४ 332 नारय तिरियनरा ८६० 146 नासि₹ इह नासइ ७१३ 77 निग्गंधया य भणिया ९०७ 165 निग्गंधो य जिणो ९०९ 165 निच्चे य तम्मि ६१२ 30 ६१३ 31 ७३७ 89 ८६८ 149 ११६६ 257 ७११ 75 १३५३ 335 ११२६ 244 ६३१ 42 ८९७ 161 गाथाङ्क पृष्ठ ११३९ 249 ११८७ 268 ११९७ 273 १३९२ 347 गाथाङ्क पृष्ठ १०९० 232 १०६१ 221 ९१७ ९१८ 169 ९१२ 166 १०७५ 226 ११८५ 266 ९८९ 193 ६९२ 68 ६११ 30 ५८५ 19 १३१० 316 ७०९ 75 ११२७ 244 ९७८ 189 ९०८ 165 ६९० 67 ८७७ 152 ८०९ 120 १०६४ 223 १०५० 217 ६६७ 58 ११७५ 260 ८२० 125 ६०६ 27 ११७४ 260 ११६७ 258 ६१७ 33 ७४६ 92 ८१० 120 ९४६ 179 ११०८ 238 १११० 239 ११६१ 256Page Navigation
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