Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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द०क०
॥४॥
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ष्ठाः यजिष्ठोवह्नितमः शोशुचानोविश्वाद्वेषा सिप्रमुमुग्ध्यस्मत्स्वाहा इदमनीवरुणा भ्यां० ॐ सत्वन्नोअग्नेवमाभवातीनेदिष्ठो अस्याउशसोव्युष्टौ अवयक्ष्वनोवरुण रराणोव्वीहिम्टडीकः सुहवोन एधिस्वाहा इदमग्नीवरुणाभ्यां ० ॐ अयाश्वान्नस्यन भिशस्तिपाश्च सत्यमित्वमयाअसि अयानोयज्ञंवहास्ययानोधेहिभेषज ५ स्वाहा इ दमग्नये ० ॐ येतेशतंवरुणयेसहस्रं यज्ञियाःपाशाविततामहांतः तेभिर्नोअद्य सवितो तविष्णुर्विश्वेमं चंतु मरुतः स्वर्का: स्वाहा इदंवरुणाय सवित्रेविष्णवेविश्वेभ्योदेवेभ्योम रुद्रयः स्वर्केभ्यश्वनमम ॐ उदुत्तमं वरुणपाशमस्मदवाधमंविमध्यम श्रथाय अथा वयमादित्यव्रतेतवानागसोअदितये स्यामस्वाहाइदंवरुणाय • इतिसर्वप्रायश्चित्तम्॥ ॐ प्रजापतये स्वाहा इदंप्रजापतये ० इतिप्राजापत्यम् ॥ ॥ अथसंस्रावप्राशनम् ॥
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पड०
॥ ४ ॥

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