Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लीचरुस्थाली संमार्जनकुशाः उपयमनकुशाः प्रादेशमितपलाशसमिधस्तिस्रःस्रुवः आज्यं षट्पंचाशदुत्तरयजमानमुष्टिशतद्वयावच्छिन्नतंडुलपूर्णपात्रं चर्वर्थास्तंडुला एतानिपवित्र च्छेदन कुशानांपूर्वपूर्वदि शिक्रमेणासादनीयानिततः पवित्रच्छेदनकुशै यजमानप्रादेशमितपवित्रच्छेदनंसपवित्र करेणप्रणीतोदकंत्रिः प्रोक्षणीपात्रे निधाय द्वाभ्यामनामिकांगुष्ठाभ्यामुत्तराग्रेपवित्रे गृहीत्वात्रिरुत्पवनं ततः प्रोक्षणीपात्रं सभ्य हस्तेन गृहीत्वादक्षिणानामिकांगुष्ठाभ्यांपवित्रेगृहीत्वात्रिरुहिंगनं ततः प्रणीतोदकेन प्रोक्षणीपात्रमभ्युक्ष्यप्रोक्षणीज लेनासादितवस्तु सेचनम् अग्निप्रणीतयोर्मध्ये प्रोक्ष णीपात्रंनिध्यात् ततःआज्यस्थाल्यामाज्यं निरूप्यप्रणीतोदकेनतंडुलान्प्रक्षाल्य च | रुपात्रेप्रणीतोदकंदत्त्वातत्रतंडुलान्प्रक्षिप्य स्वयंचरुंगृहीत्वा ब्रह्माचाज्यवह्नावुत्तर For Private and Personal Use Only

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