Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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द००
॥१३॥
णबहिरुत्थाप्याज्येनाभिघार्यहस्तेनैवजुहुयात् देवागातुविदोगातुवित्वागातुमित । पद्ध० मनसस्पतइमदेवयज्ञश्स्वाहाव्वातेधाःस्वाहा इतिबर्हिौंमः॥ अथसर्वान्कटुमधुर । लवणादिरसान्सर्वाणिचशाल्यादीन्यन्नानि यथासंभवमुद्दत्यैकस्मिन्नुत्तमपात्रेक त्वा कृतस्नानादिरलंकारादियुतोबालस्तूष्णीं तइतिमंत्रेणवाअन्नपतेन्नस्यनोदे । त्यनमीवस्यशुष्मिणःप्रप्रदातारंतारिषउर्जन्नोधेहिद्विपदेचतुष्पदेइत्यनेनवाप्राशनी । यम् अथकुमारस्यवाक्प्रसरणकामेनभरद्वाजमांसेनअन्नायकामेनकपिंजलमांसे । नमत्स्येनजवनकामस्य आयुःकामेनककलासमांसेनब्रह्मवर्चसकामेनआटिमांस
Narn१३॥ सर्वफलकामेनकथितसर्वमांसंकपिंजलःकटुआगौरतित्तिरइतिकेचित् अलाभेपिष्ट । कमयानांभरद्वाजप्रभृतीनामेकदेशःप्राशयितव्यःततआचम्योत्थायफलमूलपुष्पस
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