Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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षिच्य ततोवशिष्टकलशत्रितयजलंतथैव येप्स्वंतरमय इतिमंत्रणप्रत्येकंगृहीत्वा तू || ष्णींप्रत्येकमभिषिचति ततोमेखलामोचनंशिरोभागेन *उदुत्तमंवरुणपाशमस्म || दवाधर्मविमध्यम श्रथाय अथावयमादित्यव्रतेतवानागसोअदितयेस्याम इतिम त्रण दंडरुष्णाजिनेतूष्णीभूमौनिधाय अन्यत्रंपरिधायोत्तरीयंचक्रत्वाचम्य बद्धा ।। जलिरादित्यमुपतिष्ठेत् ब्रह्मचारी उद्यन्नाजभृष्णुरिंद्रोमरुद्भिरस्थात् प्रातांच भिरस्थात्दशसनिरसिदशसनिमाकुर्वाविदन्मागमयोयन्धाजभूष्णुरिंद्रोमरुद्भिर स्थाददिवायावभिरस्थाच्छतसनिरसिशतसनिमाकुळविदन्मागमयोयनभाजभ ष्णुरिंद्रोमरुद्भिरस्थात्सायंयावभिरस्थात्सहस्रसनिरसिसहस्रसनिमाकुर्वाविदन्मा | गमय इतिमंत्रेण ततोदधितिलान्वाप्राश्याचम्य जटालोमनखादींश्छेदयित्वा
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