Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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। त्वा समस्तशिरोवपनंयथाकुलधर्मकुर्यात् तांश्चकेशान्नूतनवस्त्रेणप्रतीक्ष्यमातादधि ।। भक्तदुग्धसमन्वितगोमयपिंडोपरिनिदध्यात् इतिसमाचारःपूर्ववत्पूर्णाहुतिः मूर्धा ।
नंदिवोअरतिपृथिव्यावैश्वानरमृतआजातमग्निम् कविसमाजमतिथिंजनानामा । सन्नापात्रंजनयंतदेवाःस्वाहा इतिमंत्रणपूर्णाहुतिः ततउपविश्यवेणभस्मानीयद ।
क्षिणानामिकाग्रग्रहीतभस्मनाच्यायुषंकुर्यात् ॐन्यायुषंजमदग्नेरितिललाटे ॐक । श्यपस्यव्यायुषमितिग्रीवायां यद्देवानांच्यायुषमितिदक्षिणबाहुमूले तन्नो । स्तुत्र्यायुषमितिहृदि अनेनैवकमेणकुमारललाटादावपि तत्रतत्तेअस्तुइतिविशेषः । ततोदूर्वाक्षतादिग्रहणम् ततस्तान्केशान्सगोमयपिंडान्गोष्ठेसरित्तीरेवाअन्यस्मि नुदकोतरेवानिदध्यात् उतआचाराद्भोज्यादिकम् ॥ ॥ इतिचूडाकरणम् ॥ ८॥
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