Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir द०का असि ॐएवमहंमनुष्याणांवेदस्यनिधिपोभूयासं ततःप्रदक्षिणमग्निवारिणापर्युक्ष्य उत्थायस्वप्रादेशमितांघृताक्तपलाशसमिधमादाय ॐअग्नयेसमिधमाहार्षबृहनेजा। ॥२५॥ तवदसे यथात्वमग्नेसमिधासमिध्यसएवमहमायुषामेधयावर्चसाप्रजयापशुभिः । ह्मवर्चसेनसमिंधेजीवपुत्रोममाचार्योंमेधाव्यहमसान्यनिराकरीष्णुर्यशस्वीतेजस्वी ब्रह्मवर्चस्वयन्नादोभूयास्वाहाइतिमंत्रेणजुहुयातुएवंसमिदंतरद्वयंजुहुयात् ॐअग्ने । सुश्रवःसुश्रवसंमांकुरुयथात्वमग्नेसुश्रवःसुश्रवाअसिएवंमांसुश्रवःसौश्रवसंकु रु यथात्वमग्नेदेवानांयज्ञस्यनिधिपाअसि ॐएवमहंमनुष्याणांवेदस्यनिधिपोभू यासं ततःप्रदक्षिणमनिंपर्युक्ष्यतूष्णींपाणीप्रतप्यमुखंप्रतिमत्रांतेऽवमृशति तनूपा। अग्नेऽसितन्वमेपाहिआयुर्दाअग्नेस्यायुर्मेदेहि अवक़दाअग्नेऽसिव!मेदेहि अमे। 2021303 ॥२५॥ For Private and Personal Use Only

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