Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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चम्य अयतैतवेदारंभहोमकर्मणिकतारूतावेक्षणरूपब्रह्मकर्मप्रतिष्ठार्थ इदंपूर्ण ।। पात्रप्रजापतिदैवतममुकगोत्रायामुकशर्मणेब्राह्मणायब्रह्मणेदक्षिणांतुभ्यमहंसंप्र ददेइतिदक्षिणांदयात् ॐस्वस्तीतिप्रतिवचनं ततोब्रह्मग्रंथिविमोकः सुमित्रियान । आपओषधयःसंतुइतिपवित्राभ्यांप्रणीताजलमानीयतेनशिरःसंमृज्य दुर्मित्रिया । स्तस्मैसंतु योऽस्मान्वेष्टियंचवयंद्विष्मः इतिमंत्रेणऐशान्यांप्रणीतांन्युनीकुर्यात् तत | आस्तरणबर्हिरानीयघृतेनाभिघार्यक्रमेणहस्तेनैवजुहुयात् ॐदेवागातुविदोगातुवि ।। वागातुमितमनसस्पतइमदेवयज्ञश्स्वाहावातेधाःस्वाहा इतिबर्हि.मः ततःकाश्मी। रगमनम् ततइष्टांशकेवेदारंभंगुरु कारयेत् तत्रक्रमः भूर्भुवःस्वःतत्सवितुर्वरेण्यं ।।। भर्गोदेवस्यधीमहिधियोयोनः प्रचोदयात् इतिप्रणवांतंपठित्वापंक्तिनमस्कारंच ।।
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