Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 51
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir B द००म् ॐ अद्यतस्मिन्नुपनयनहोमकर्मणिकताकतावेक्षणरूपब्रह्मकर्मप्रतिष्ठार्थमिदंपू । पद० पात्रंप्रजापतिदैवतममुकगोत्रायामुकशर्मणेब्राह्मणायब्रह्मणेदक्षिणांतुभ्यमहंसं | ॥२४॥ प्रददे इतिदक्षिणांदयात् ॐ स्वस्तीतिप्रतिवचनम् ततोब्रह्मग्रंथिविमोकः ततः। सुमित्रियानआपओषधयः संतु इतिपवित्राभ्यांजलमानीयतेनशिरःसंमृज्य दुर्मित्रियास्तस्मैसंतुयोऽस्मान्द्वेष्टियंचवयंद्विष्मःइत्यैश्यान्यांप्रणीतान्युनीकरणंततः ।। स्तरणकमेणबर्हिरुत्थाप्यघृतेनाभिघार्यहस्तेनैवजुहुयात् ॐ देवागातुविदोगातुवि । वागातुमित मनसस्पतइमदेवयज्ञ स्वाहावातेधाःस्वाहा इतिबर्हिोमः ततआ॥२४॥ "चार्यःकुमारस्यानुशासनंकरोति ब्रह्मचार्यसीत्याचार्यः ॐ असानीतिब्रह्मचारी || अपोशानइत्याचार्यःअशानीतिकुमारआह ॐकर्मकुवत्याचाआर्यःकर A APGANDANKLETTINESSPANASOKAR S For Private and Personal Use Only

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