Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द०० पयमनकुशान्वामहस्तकत्वाप्रजापतिमनसाध्यात्वा तूष्णींघृताक्तास्तिस्रःसमिधःप्र । | पद्द० क्षिपेत् उपविश्यसपवित्रप्रोक्षण्यदकेनप्रदक्षिणक्रमेणाग्निंपर्यक्ष्य प्रणीतापापवि ॥२३॥ निधायपातितदक्षिणजानुब्रह्मणान्वारब्धः समिद्धतमेऽग्नौखुवेणाज्याहुतीर्जुहोति । |तत्रतत्तदाहुत्यनंतरंखुवावस्थितघृतशेषस्यप्रोक्षणीपात्रेप्रक्षेपः प्रजापतयेस्वाहा इदंप्रजापये. इतिमनसा ॐ इंद्रायस्वाहा इदमिंद्राय० इत्याघारौ ॐ अग्नयेस्वा हा इदमग्नये० ॐ सोमायस्वाहा इदंसोमाय०इत्याज्यभागौ ॐ भूःस्वाहा इदमन । ये० ॐ भुवःस्वाहा इदंवायवे० ॐस्वःस्वाहा इदंसूर्याय एतामहाव्याहृतयःत्व । नोअग्नवरुणस्यविद्वान्देवस्यहेडोऽअवयासिसीष्ठाः यजिष्ठोवह्नितमः शोशुचानो । विश्वाद्वेषा सिप्रमुमुग्ध्यस्मत्स्वाहा इदमग्नीवरुणाभ्यां० ॐसत्वन्नोअग्नेवमोभवो । ॥२३॥ For Private and Personal Use Only

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