Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir दक० CResise ॥१९॥ अथकर्णवेधः॥ ॥ तत्रतृतीयेवर्षेपंचमेवापुष्येंदुचित्राहरिरेवत्यन्यतमनक्षत्रसम । पद्ध० वितरिक्तातिरिक्ततिथिपूर्वाह्न पिताऽन्योवापूर्वाभिमुखोपविष्टः कुमारस्यमधुरंदत्त्वा । ॐ भद्रंकर्णेभिः शृणुयामदेवागद्पश्येमाक्षभिर्यजत्राः स्थिरैरंगैस्तुष्टुवा सस्तनूभि यशेमदेवहितंयदायुः इतिमंत्रेणदक्षिणकर्णममिमंत्र्य ॐ वक्ष्यंतीवेदागनीगंनिक | र्णप्रिय सखायंपरिषस्वजाना योषेवशिंक्तेवितताधिधन्वन्ज्याइयसमनेपारयंती इतिमंत्रणवामकर्णमभिमंत्रयेत् ततोमध्यंवीक्ष्यनापितद्वारावेधयेत् तस्मिन्समये । मधुरादिदानमाचारात् ततोब्राह्मणभोजनम् ॥ इतिकर्णवेधः॥९॥ ॥१९॥ श्रीगणेशायनमः ॥ अथापनयनम् ॥ ॥ तत्रशुद्धसमयेरविगुरुचंद्रतारादिशुद्धौज ।। न्मतोगर्भाष्टमेऽब्देवानुकूल्येषोडशसंवत्सराभ्यंतरेब्रह्मवर्चसकामस्यपंचमेऽप्युदग D SASHOKESTAR For Private and Personal Use Only

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