Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir द०क० ॥१४॥ Showwwss Released दिकृत्वामंडपेपरिष्कृतभूमौकुशकंडिकामारभेत्तत्रक्रमःकुशहस्तमिताभूमिपरिसमु । पद. यतानैशान्यांपरित्यज्यगोमयोदकेनोपलिप्य सुवमूलेनप्रादेशमात्रंत्रिरुल्लिख्यउल्ल।। खनक्रमेणानामिकांगुष्ठाभ्यामुद्धृत्यवारिणातदेशमभ्युक्ष्यकांस्यपात्रेणाग्निमानीय ।। प्रत्यङमुखममेरुपसमाधानंकुर्यात्ततोग्नःपश्चिमतोयजमानदक्षिणदिशिस्त्रापितम हतवास परिधाग्यकुमारमंकेनिधायमाताउपविशतिततःपुष्पचंदनतांबूलवासांस्या दाय ॐअद्यकर्तव्यचूडाकरणहोमकर्मणिकताकतावेक्षणरूपब्रह्मकर्मकर्तुममुकगो । त्रममुकशर्माणंब्राह्मणमेभिः पुष्पचंदनतांबूलवासोभिब्रह्मत्वेनत्वामहंटणेइतिब्रह्मा । णवणुयात्तोस्मीतिप्रतिवचनम् यथाविहितकर्मकुर्वितियजमानेनोक्तेक ॥१ ॥ रवाणीतिप्रतिवचनम् ततोयजमानोग्नेर्दक्षिणतः शुद्धमासनंदत्वातदुपरिप्रागग्रान् For Private and Personal Use Only

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