Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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MARATHIANTASSI
निदध्यात् ततःप्रोक्षणीवत्रिराज्योत्पवनं अवेक्ष्य सस्यपद्रव्येतन्निरसन पूर्ववत्यो । लण्युत्पवनंततउत्थायउपयमनकुशानादायवामहस्तेहत्त्वाप्रजापतिमनसाध्यात्वा । तूष्णीमग्नौघृताक्ताःसमिधस्तिस्रःप्रक्षिपेत् ततउपविश्यसपवित्रप्रोक्षण्युदकेनप्रद क्षिणक्रमेणामिंपर्युक्ष्यप्रणीतापात्रेपवित्रेकृत्वाब्रह्मणान्वारब्धःपातितदक्षिणजानुः ।। समिद्धतमेग्नौजुहुयात् तत्रप्रत्याहुत्यनंतरंखुवावस्थितहुतशेषघृतस्यप्रोक्षणीपात्रे | प्रक्षेपः ॐ प्रजापतयेस्वाहा इदंप्रजापतये०१ इतिमनसा ॐ इंद्रायस्वाहा इदमि । द्राय० १ इत्याघारौ ॐ अग्नयेस्वाहाइदमग्नये०३४ सोमायस्वाहाइदंसोमाय०४|| इत्याज्यभागी ॐ भःस्वाहाइदमग्नये०५ॐ भुवःस्वादाइदंवायवे० ६ ॐ स्वःस्वा । हा इदंसूर्याय. ७ एतामहाव्यात्दृतयः ॐ त्वन्नोअग्नेवरुणस्यविद्वान्देवस्यहेडो
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