Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्वितघृतेन स्रुवंपरिपूर्य ॐ मूर्धानंदिवोअरतिपृथिव्यावैश्वानरमृतआजातमग्निं | कवि सम्राजमतिथिंजनानामासन्नापात्रं जनयंतदेवाःस्वाहा इति मंत्रेणपूर्णाहुतिं | दद्यात्॥ ततउपविश्यभस्मानीय दक्षिणानामिकाग्र गृहीतभस्मना ॐ त्र्यायुषजमदग्ने | रितिललाटे ॐ कश्यपस्य त्र्यायुषमितिग्रीवायां ॐ यद्देवे पुण्यायुषमितिदक्षिणबाहुमू ले ॐ तन्नो अस्तुत्र्यायुषमितिहृदि अनेनैवक्रमेणकुमार ललाटादावपितन्नोइत्यत्रत |त्तेअस्त्वितिविशेषः ततो दूर्वाक्षतादिदानं ब्राह्मणानांभोजनंच॥ इत्यन्नप्राशनम् ॥७॥ ॥ अथचूडाकर्म ॥ ॥ तच्च पूर्ण वर्षे ढतीयेवा असंपूर्णे उपनीत्यासहवायथाचारं उदग यनआपूर्यमाणपक्षे शुक्रास्तादिदोषरहितरिक्तादिदोषरहित सोम गुरुबुधशुक्रान्यत मवार विहितनक्षत्रसमन्वितायतिथौ कृतनित्यक्रियोयजमानोमातृपूजाभ्युदयिका For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122