Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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तोतविष्णुर्विश्वेमुंचतुमरुतःस्वकाःस्वाहा इदंवरुणायसवित्रेविष्णवेविश्वेश्योदेवेभ्य ।। ॐ उदुत्तमंवरुणपाशमस्मदवाधर्मविमध्यमंश्रयाय अथावयमादित्यव्रतेतवाना। गसोअदितयेस्यामस्वाहा इदंवरुणाय० इतिसर्वप्रायश्चित्तं ॐ प्रजापतयेस्वाहाइ । दंप्रजापतये इतिमनसा इतिप्राजापत्यं अयसंखवप्राशनम् ततआचम्य ओम ।। यतैतदन्नप्राशनहोमकर्मणिकताकतावेक्षणरूपब्रह्मकर्मप्रतिष्ठार्थमिदंपूर्णपात्रं
जापतिदैवतममुकगोत्रायामुकशर्मणेब्राह्मणायब्रह्मणे दक्षिणांतुभ्यमहसंप्रददे इति । । दक्षिणांदयान् स्वस्तीतिप्रतिवचनंततःप्रणीताविमोकःॐ सुमित्रियानआपओष । ॥धयःसंतुइतिपठिवा पवित्राभ्यांप्रणीताजलमानीयतेनशिरःसंमृज्य ॐदुर्मित्रिया । स्तस्मैसंतु योस्मान्देष्टियंचवयंद्विष्मःइत्यैशान्यांप्रणीतान्युनीकरणम्ततःस्तरणको
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