Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirtn.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie
तक्षत्रियस्य गुप्तांतवैश्यस्य दासांतशूद्रस्य ॥इतिनामकर्म॥५॥ ॥ ॥ अथनिष्क्रमणम् ॥ तत्रचतुर्थेमासिचंद्रतारानुकूलेदिनेस्त्रातमलंकृतंशिशुंगृहाइहि । रानीयपितान्योवाबाह्मणः सर्यमुदीक्ष्यति ॐ तच्चक्षुरित्यादिमंत्रेण तत्रफलपुष्पा न्वितपयसाभास्करस्यअर्घोदेयः ॥ इतिनिष्क्रमणम् ॥६॥ ॥ ॥ ॥| अथान्नप्राशनम्॥तत्रषष्ठेमासिचंद्रतारानुकूलशुभदिनेस्नातःशुचिरानांतःशुक्लविवा | साःपितासूतिकागृहएवकुशकंडिकांकुर्यात्तत्रकुशैर्हस्तपरिमितचतुरस्रभूमिपरिसमु स्यतानैशान्यांनिक्षिप्य गोमयोदकेनोपलिप्यस्फ्येनस्रवेणवाप्रादेशमात्रमुत्तरोत्तर । क्रमेणप्रागग्रंत्रिरुल्लिख्य उल्लेखनकमेणानामिकांगुष्ठाभ्यांमृदंसमुद्धृत्यवारिणातंदे शमन्युक्ष्य कांस्यपात्रस्थंवह्निप्रत्यङमुखमुपसमाधायँ अद्यर्कतव्यान्नप्राशनहो
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122