Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir पद्ध० Osmanasso ॥८॥ द०० तोकरतइत्यनेन ततःकुमारनाभिवईनेकतेतस्यादक्षिणस्तनंप्रक्ष्याल्यकुमारायप्रय । छति ॐइम स्तनमर्जस्वंतंधयापांप्रपीनमग्रेशरिरस्यमध्येउत्संजुषस्वमधुमंतमर्व । समृद्रिय सदनमाविशस्वइतिमंत्रण ततोवामस्तनंप्रक्षाल्यप्रयच्छति इमस्त नमित्यादि यस्तेस्तनःशशयोयोमयोभूयॊरत्नधावसुवियःसुदत्रः येनविश्वापुष्यसि वार्याणिसरस्वतितमिहधातवेकःइतिमंत्राभ्यां ततःप्रसवित्रीशयनीयमस्तकोपरिभ । मौवारिपूर्णभाजनंनिदध्यात् अपोदेवेषुजागृथयथादेवेषुजागृथ एवमस्यांसूतिका TI यांसपुत्रिकायांजागृथेत्यनेनमंत्रेण तच्चसूतिकोत्थापनपर्यंतंतत्रैवधर्तव्यं ततःसूति । कागृहद्वारप्रवेशेपंचभूसंस्कारान्कृत्वानरुपसमाधानं सचाग्निरुत्थानदिनपर्यंत । ॥८॥ वधर्तव्यः तत्रचाग्नौसंध्ययोःफलीकरणांस्तंडुलांस्तन्मिश्रान्सर्षपान्दशदिनानिपि || YONDUSad y For Private and Personal Use Only

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