Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir यजमाना अनुयूविश्वावसुदधिरेवार्याणित्वयासहद्रविणमिच्छमानावजंगोमंत मशिजोविवत्रुः ११ ततःकुमारंप्रतिदिशमेकैकंवाह्मणंमध्येपंचममूर्ध्वमवेक्षमाण मवस्थाप्यतमुद्दिश्यइममनुप्राणितेतिपिताब्यात्॥ ततस्तेषुप्राणेतिपूर्वोव्यानेतिदक्षि णोऽपानेति अपरउदानेतिउत्तरउपरिष्टादवेक्ष्यमाणःसमानेतिपंचमोबयात् एषामसं । भवेस्वयमेवतत्रतत्रोपविश्यतथैवब्रूयात् अथकुमारस्यजन्मभूमिमभिमंत्रयेवे । दतेभूमिहृदयंदिविचंद्रमसिश्रितम् वेदाहंतन्मांतद्विद्यात्पश्येमशरदः शतंजीवेमशरदः शतशृणुयामशरदःशतमित्यनेन अथकुमारमभिमशतिअश्माभवपरशुर्भवहि|| रण्यमश्रुतंभव आत्मावैपुत्रनामासित्वंजीवशरदःशतमित्यनेन तत्रकुमारमातरम । भिमंत्रयेत् इडासिमैत्रावरुणीवीरेवीरमजीजनथाःसात्वंवीरवतीभवयास्मान्वीरव । For Private and Personal Use Only

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