Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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पद्ध
द००
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रिहट्टीरुधःसमंजन सयोजज्ञानोविहीमिद्धोअख्यदारोदसीभाननाभात्यंतः॥ ।।श्रीणामुदारोवरुणोरयीणांमनीषाणांप्रार्पणःसोमगोपाः॥ वसुःसूनुःसहसोअप्सुरा ।
जाविभात्यग्रउषसामिधानः ५ ॐविश्वस्यकेतुर्भुवनस्यगर्भआरोदसीआपणाजा यमानःवीडुंचिदद्रिमभिनत्परायंजनायदग्निमयजंतपंच६ उशिक्पावकोअरतिः । सुमेधामर्तेष्वग्निरस्तोनिधायि इयतिधूममरुषभरिश्चदुच्छुकेणशोचिषायामिनक्ष । न शानोरुक्मउर्ध्याव्ययौहुर्मर्षमायुःश्रियेरुचानः अग्निरमतोअभवद्वयोभिये । देनंयौरजनयत्सुरेताः८ॐयस्ते अयकृष्णवद्भद्रशोचेपूपंदेवघृतवंतमग्ने प्रतन्नयप्रत रंवस्योअछाभिसुम्नदेवभक्तंयविष्ठ ९ ॐआतंभजसौश्रवसेष्वग्नउक्थउक्थआम जशस्यमाने प्रियःसूर्येप्रियोअग्नाभवात्युज्जातेनभिनददुजनित्व १० वामग्ने ।
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