Book Title: Dashkarm Paddhati
Author(s): Hariprasad Bhagirath
Publisher: Hariprasad Bhagirath
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द०क०
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ॐ भूर्भुवः स्वः विनयामिइतिमंत्रेणासकृत् ॐ भूर्विनयामिॐ भुवः विनयामि स्वर्वि प३० नयामि इतिमंत्रेणवारत्रयं ततः उदुंबरफलयुग्मान्वितशल्लकीकंटकादिपंचकंवधूसी मंतदक्षिणतोवेणीकृत्वापतिर्वभाति ॐ अयमूजवतोवृक्ष उर्जीव फलिनीभवइति मंत्रेण ततः उदुंबरफलादिसमन्वितसूत्रदोरकं वधूग्रीवायांअनेनैवक्रमेणवाआचारा दुनीयात् ततोबिल्वादिसमन्वितवाराष्ट्रतयेनत्रपनं ॥ ततः फलपुष्पादिकंनूतनवस्त्रेणव ध्वाप्रतीक्ष्यधर्तव्यं प्रतिस्त्रपने स्वामिपठनीयोमंत्रः ॐ अयमूर्जेतिराजानः संगायेता मितित्रैषानंतरं सोमएवनोराजेमामानुषीः प्रजाः अविमुक्तचक्रआसीरंस्तीरे तुभ्यम सौश्रीअमुकदेवीइतिगाथांवीणागाथिनौगायेतां अन्योवावीरतरः ततोयाग्राम सन्नि हितनदीतस्यानामगृह्णीयात् ततउत्थाय वधूदक्षिणकरेण सुवस्पृष्टेन फलपुष्पसमन्वि
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