Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ स्व. श्री तिलक बुरूजी ने जमाइथी किन्तु चलाइ सुरेन्द्रगुरूजी ने / आज बेंगलोर में यदि संस्कार के दर्शन हो रहे है / तो यह सुरेन्द्रगुरूजी को आभारी है / क्योंकि आपकी लगन एवं कार्यनिष्ठा ने आज बेंगलोर की पाठशाला का नाम न सिर्फ दक्षिण भारत में बल्के देश-विदेश में विख्यात किया है। हमने चातुर्मास में सुरेन्द्रगुरूजी कों कार्य करते हुए देखा है। आज वेवर्षीतप कर रहे है शायद उन्हें दसवा वर्षीतप भी चल रहा है किन्तु पारणे में भी खाने पीने की कोई परवा उन्हें नहीं है / यू अगर देखा जाय तो आज वे अपनी उम्र के उत्तरार्ध में है किन्तु एक युवक कोशर्मा दे ऐसी उनमें फूर्ती है। वे आज भी दौडकरचारमंजील चढ़ जाते हैं। | उनका सारा जीवन यन्त्रवत् बन गया है !!! सारांक्ष में बात उतनी ही है कि सुरेन्द्रभाई द्वारा दिया जाने वाला ज्ञान संस्कार युक्त है / पाठशाला की स्नात्र एवं संगीत आपकी ही देन है आप सारे दिन पाठशाला की प्रगति के लिये चिन्तीत रहते है / आपकी सादगी एवं अदम्य उत्साह देखते ही बनता है। अभी-अभी श्री सीमंधर शांतिसूरि जैन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव था आपने जो विधियाँ करायी थी वाकई में लाजवाब थी सभी कामसमय पर होता था / प्रातः५ से रात्रि 12 बजे तक आप दौडते थे / आपने सेकडों अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठाएँ सम्पन्न कराई हैं / आपका अद्भुत संगीत प्रेम उत्साह वास्तव में देखते ही बनता है। इन.सभी कार्यों के बीच आप हमेंशा अपनी पाठशाला की ड्यूटी को हमेशा ब्यूटीफूल बनाकर रखते है / कभी भी आप पाठशाला के समय अनुपस्थित नहीं रहते है। एवं समय - समय पर छोटे-मोठे प्रकाशन कार्य भी किया करते है / थोडा सा भी समय मिला कि आप कम्प्युटर पर बेंठकर डीझाइनें बनवाते रहते हैं। - आपने चातुर्मास में ही यह प्रकरण ग्रन्थ छपवाने के लिए तैयारियां की.थी एवं मुझे प्रस्तावना लिखने को कहा था और मेने लिखकर दे भी दी थी, किन्तु इनकी व्यस्तता के कारण वह कही रख दी / एवं फिर मेरा विहार हो गया था तभी से आप मुझे बार बार प्रस्तावना लिखने का आग्रह करते रहे किन्तु विहार के कारण हम व्यस्त थे एवं प्रस्तावना लिख न सका एवं विलम्ब होता ही रहा किन्तु पुनः सुरेन्द्रभाई का स्नेह और अपनत्व देखकर मुझे प्रस्तावना लिखने के लिए कलम और पेपर हाथ में लेने पडे और प्रस्तावना लिख पाया हूँ। ... प्रस्तुत पुस्तक में दो प्रकरण प्रकाशित किए जा रहे है / जीव विचार एवं वितत्व पहले पाठशाला द्वारा प्रकाशित किये जा चुके है जो | શાને શાપ મેં શ્રેષ્ઠ છે (7

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 206