Book Title: Dandak Prakaran Sarth Laghu Sangrahani Sarth
Author(s): Gajsarmuni, Haribhadrasuri, Amityashsuri, Surendra C Shah
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ यशोविजयजी जैन संस्कृत पाठशाला मेहसाणा की ओर से प्रकाशित हुआ है / श्री आदिनाथ जैन श्वे. संघ चिकपेट बेंगलोर द्वारा हिन्दी भाषा में जीव विचार और नवतत्त्व ये दो प्रकरण प्रकाशित हो चुके है / लेकिन हिन्दी में दंडक और जम्बूद्वीप संग्रहणी का प्रकाशन नही हुआ था / हिन्दी भाषी क्षेत्रों के लिए यह प्रकाशन खास आवश्यक था / / वह कमी पूरी करने के लिए श्री विजय लब्धिसूरी जैन धार्मिक पाठशाला के प्रधानाध्यापक सुरेन्द्रभाई ने मेहसाणा से प्रकाशित दंडक और जंबूद्वीप संग्रहणी का हिन्दी में भाषांतर करने के लिए मुझे निर्देश किया, तब पू. गुरू भगवंत ने सम्मति देने पर मैंने यह भाषांतर किया है / हिन्दी में यह मेरा पहला भाषांतर है। कही भाषा की त्रुटियाँ हो सकती है इसलिए वह परिमार्जन करके पढ़ने का ख्याल रखें / परमोपकारी अरिहंत भगवंत के प्रभाव से तथा लब्धि -विक्रम पट्टालंकार स्व. पूज्यपाद दक्षिण केशरी गुरूदेव श्रीमद् विजय स्थूलभद्र सूरीश्वरजी म.सा की परम कृपा से यह भाषांतर हो सका है / इस का प्रकाशन श्री आदिनाथ जैन संघ चिकपेट की ओर से अनेक श्रुत प्रेमी दान दाताओं के सहयोग से हो रहा है / इसके प्रकाशन की पूर्ण व्यवस्था श्री विजय लंब्धिसूरीश्वरजी जैन धार्मिक पाठशाला के प्रधान अध्यापक श्री सुरेन्द्रभाई ने सुचारू रूप से सम्भाली है वह धन्यवाद के पात्र है / इस भाषांतर में जिनाज्ञा विरूद्ध कुछ भी लिखा गया हो उसका में मिच्छामि दुक्कडं देता हूँ। यह ग्रंथ का पठन पाठन करके सभी मोक्ष सुख प्राप्त करें यही कामना करता हूँ। स्व. परम पूज्य दक्षिणकेशरी गुरूदेव श्री स्थूलभद्रसूरीश्वरजी म.सा के शिष्य आचार्य श्री अमितयशसूरि का धर्मलाभ संवत२०६० प्र. श्रावण वद 7 नगरथपेट, बेंगलोर

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 206