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[१०] कमल चौवीस, पूजो रे चोवीस, सोभागी चौबीस, बैरागी चौबीस जिणन्दा । कुसुमांजलि मेलो शान्ति जिणन्दा ॥
॥ मन्त्र ॥ ॐ ह्रीं अहँ परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये, जन्म-जरा-मृत्यु निवारणाय, श्रीमत्-शान्ति जिनेन्द्राय (श्रीमज्जिनेन्द्राय ) कुसुमांजलिंयजामहे स्वाहा ॥
इस मंत्र को बोलने के बाद कुसुमांजलि को प्रभु के चरणों में दूसरी वार और चढ़ावें। फिर चंदन-केशर की टीकी, प्रभु के घुटनों (गोडों) पर लगावें।
फिर हाथों में कुसुमांजलि लेकर खड़ा रहे । तथा नीचे लिखा मंत्र बोले। संत्र--ॐ नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय, सर्वसाधुभ्यः ॥
॥दोहा॥ निम्मल नाण पयास कर, निम्मलगुण सम्पन्न । निम्मल धम्मुवएसकर, सो परमप्पा धन्न ॥३॥
॥ ढाल || लोकालोक प्रकाशक नाणो, भविजन तारण जेहनी वाणी । परमानन्द तणी नीसाणी, तसु भगते मुझ मति ठहराणी ॥