Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi
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________________ X भविष्यदत्त चरित्रम त्रयोदशमोड धिकार पोतनेशोऽभ्यधात्सर्व-सामन्तान् दुर्जयान रणे / यातु तत्र पुरे कश्चिन्मदादेशान्मदोध्धुरः॥ 13 // तां स्त्रियं तदनं सर्व, पुत्री भूपस्य पश्यतः / रणाद्वा करणान्मैत्र्याः, समानयतु सत्वरम् // 14 // भूपादेशादेशमुख्यैः, सज्जीकृत्य बलान्वितः। चित्राङ्गः प्रेषितः सात-धैर्यवान् हस्तिनापुरे // 15 // बलवाच्छलवान् सोऽपि, केनाऽप्यक्षुण्णवर्त्मना / तथाऽवासीद्ययापुर्या विशल्लोकैन लोकितः॥१६॥ भविष्यस्य चरै रात्रौ, कथितं श्रेष्ठिनन्दन! / मातः सत्वरमेवात्राऽऽगन्ता कश्चिद्वलान्वितः // 17 // तदुक्त्या शीघ्रमुत्थाय, भविष्यो यावदाययौ / नृपास्थाने भणन्नेवं, साम्पतं कोऽप्युपेष्यति // 18 // न ज्ञायते स्वः परो वाऽश्ववारपरिवारितः / पुरान्तः प्रविशंसूर्ण, केनाऽपि न निवारितः // 19 // श्रृण्वत्यस्य नृपे वाक्यं, द्वास्थः शीघ्रमुपास्थितः / देव चित्रांगनामा ते, द्वारे कश्चिदुपेयिवान् // 20 // प्रवेशितो नृपादेशाद, द्वाःस्थेन तत्क्षणादयम् / अभ्युत्थानसुखप्रश्नाऽऽलापैश्च बहुमानितः // 21 // नरेश-देश-प्रामादि-प्रश्नस्तं वार्त्तयन् नृपः / पृष्टवान् सुस्थितं वाच्यः, को हेतुर्भवदागमे // 22 // बभाषे स महाराजः, श्रीपोतनपुराधिपः / अवनीन्द्रस्सदोन्निद्रः, वैरिवारनिवारणे // 23 // विक्रमाक्रान्तदिचक्रः, शक्रवत्तेजसान्वितः / मन्मुखेन नृपः स त्वां समादिशति सात्विकः // 24 // मया वशीकृतः सर्वः, पूर्वदेशः सपर्वतः / समुद्रान्तीपजन्मा, मदादेशं समीहते // 25 // भल्लिदर्शनमात्रेण, क्षोभिता भिल्लनायकाः / पल्या वल्या इव फलान्यास्वादन्ते ससम्भ्रमम् // 26 // SEXEEEEEEEEEEEX

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