Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi
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________________ सकस भविष्यदत्त चरित्रम 124 षोडशोऽ धिकार LABEXXXXXXXXXXXXXXXX यतः-वर्वखविभूतयः शुचितराऽलङ्कारतोऽलकृतिः / पुष्पैः पूज्यपदं सुगन्धितनुता गन्धैर्जिने पूजिते / दीप नमनावृतं निरुपमा, भोगदि रत्नादिभिः / सन्स्येतानि किमदभुतं, शिवपदमाप्तिस्ततो देहिनाम् / / 12 // महोत्सवान्महीनाथः, पाथसा स्नपयन् जिनं / शक्रानुकरणात्मेने, स्वात्मानं सर्वतोऽधिकम् // 13 // सभ्यसौरभ्यसम्भारैर्गन्धसारैश्च कुङ्कुमैः / कृत्वा विलेपनं देहे, भूषणान्यादवे नृपः // 14 // गुणप्रणीतैः संगीतनयन्निद्रवन्नयन् / वाद्यमानेषु वायेषु, स पूजोत्सवमातनोत् // 15 // भावयन् भावनाधिक्यात्पञ्चकल्याणकक्रियाम् / तस्थौ पुरोदिबिम्बस्य स्तुवन्नरपतिः स्तवैः॥१६॥ विद्याधरेण तेनाऽपि, वितेने सोत्सवार्चना / भवदत्तदुहित्राऽपि, सत्रा तत्र सुमित्रया // 17 // नृपे निविष्टे सम्पूज्य, चारणश्रमणद्वयम् / यात्राऽनुरागात्तत्राऽऽगान्नभोभागात्समुत्तरन् // 18 // प्रणम्य स्तवनैः स्तुत्वा, श्रीचन्द्रमभनायकम् / मुस्थितौ चारणमुनी, वन्दितौ तौ महीभुजा // 19 // वर्द्धस्व धर्मलामेनेत्युक्तस्वाभ्यां धराधवः / शुश्राव शुद्धभावेन, देशनां तदुदीरिताम् // 20 // राजन्नसारे संसारे, भास्करेऽपि विनश्चरे / धर्मः शर्मकरः कार्यस्तार्यो येन भवार्णवः // 21 // वीतरागैः समादेशि, स धर्मः शिवशर्मदः। दया न हृदयात्ताज्या, राज्यभाजाऽप्यहो त्वया // 22 // दयायाः कारणं कार्य, स्वरूप समयोदितम् / धार्य धैर्यवतां कार्यमिदमेव महामते ! // 23 // समयो वीतरागोक्तः, श्रूयते सुगुरोर्मुखात् / देवे गुरौ च विनयाच्छवणं बुदिसिद्धये [शुद्धये // 24 // EEEEEEEEEEEEEEEEEEE

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