Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi

View full book text
Previous | Next

Page 122
________________ भविष्यदचरित्रम् 110 चतुर्दशमोऽ |विकारः भटैर्जय जयेत्युच्चै-दद्भिः कृतगौरवः / पौरवगै समावास्य, पुरोधाने स तस्थिवान् // त्रिभिर्विशेषकम् // 71 // अभ्यमित्रं तमाकर्ण्य, बलं पोतनभूभुजः / तस्थौ स्थिरतरं दत्वा, पटावासान् वनान्तरे // 72 // जलदुर्गमतिक्रम्य, बलं गजपुरे गतम् / श्रुत्वा ते सर्वसामन्ता, संकृत्य रणमैयरुः // 73 // अदैन्यसैन्यभारेण, चकम्पे वसुधातलम् / मत्वेति रेणुभारेग, स्थगितं व्योम सत्वरम् // 74 // व्योम्नि रुद्ध रयाचाराद्भास्करोऽदृश्यतां ययौ / मन्ये तेनाऽभवद्रात्रिश्छलायैव दुरात्मनाम् // 75 // भूपः पृथुमतिर्लोह-जङ्गः कच्छाधिपस्ततः / पञ्चालाधिपतिः सेना-ध्यक्षं तं च प्रणेमिवान् // 76 // कच्छाधिपः सुखमश्नै-बहुमानः प्रमोदितः / पृष्टवान् भूपतेः कोपो, मय्यभूत केन हेतुना // 77 // न मेऽत्राऽऽगमनं देश-ग्रहणाय न यात्रया / किन्तु पोतनराजस्य, साहाय्यायैव लज्जया // 7 // कुरुजालदेशान्तर्मत्वा विकारणम् / कुरुराजगुरुपीत्याऽयुव्ये तेन समं पुनः // 77 // कुरुराजेन यद्वैरं, स बैरी नियमान्मम / यो मित्रं कुरुभूपस्य, पश्य मित्रं ममापि तम् // 78 // इदानीमभिषिक्तस्त्वं, स्वपदे संपदे नृणाम् / यदाऽऽदिशसि तत्कार्य, वार्य वैरूप्यमनप्ता / / 79 // भविष्यस्तमयो मेने, सौजन्यरसभाजनम् / सभाजनमतः प्रोचे, अहो मैत्री सुमेधसाम् // 80 // सुमुहूर्तमथाऽऽलोक्य पालयनचलां बलेः / स चचाल द्विषां कालः, कृपाणं पाणिना वहन् // 81 // लोहजङ्कनृपः माह, पत्तिसैन्यं पुरः स्थितम् / निवार्यतामस्य भक्के, शुभं गेयं यशो न हि // 82 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170