Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi
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________________ भविष्यदत्तचरित्रम् पञ्चदशमोऽ धिकार सेव्यमानः स सामन्तैः, प्रियाभ्यां सह सोल्सयम् / बुभुजे विविधान् भोगान्, युवराजश्रियाऽनिशम् // 8 // ललनायुगलेनाऽयं, ललन् रहसि मन्दिरे / स्वमात्रा मातृमात्रा च, राश्याऽऽकार्य न्यवेधत // 9 // हे वत्स! वत्सलचिते, सहसे सह सेवकैः / भुजे राज्यधुरं सम्यग् , वहसे महसेवधिः // 10 // जयलक्ष्मीस्त्वया निन्ये, परिगिन्ये नृपाङ्गना / देशे पुरे च सर्वत्र, सहसाऽऽनन्दितो जनः // 11 // भूपप्रसादासर्वत्र, कीर्तिस्ते गीयते जनः / तेन हर्षवशाकुर्मः, शर्म धर्म समन्वितम् // 12 // निय॒ यन्नृपास्थाने, भणितं सर्वसाक्षिकम् / चित्राङ्गोऽनन्तपालच, शौ निलों ठितौ त्वया // 13 // साम्प्रतं तव साहाय्यात्, सर्वत्र नृपतेर्जयः / लक्ष्मीः प्रौढतरवास्ति, हास्तिकाऽचीयसमात् // 14 // तथापि नास्या विश्वासः, कार्यः कार्यविचक्षणैः / अनित्यतैव संचिन्त्या, पमदाऽनादरावि // 15 // यतः-श्रियो विद्युल्लोलाः, कतिपयदिनं यौवनमिदम् / सुखं दुःखाऽऽघ्रातं, वपुरनियतं व्याधिविधुरम् // दुरापाः सद्गोष्ठ्यो, बहुभिरथवा किं मलपितरसारः संसारस्तदिह निपुणं जाग्रत जनाः॥१६॥ तत्तिस्रोऽपि वयं बच्यो, मान्याः कुलमहत्तराः। न सुन्दरमिदं चित्ते, प्रतिभाति सचेतसाम् // 17 // कारागारे विनिक्षिप्तः, पोतनाधिपतेः सुतः / सन्मानय नय स्थान-मेनं निगडमोचनात् // 18 // तासामासांप्रचक्रे वाक, तासां स्थिरीभूता सा वाक] चित्ते तस्य महीभुजः मातरः! कातराः कस्मात्कार्यमेतत् करिष्यते // 19 // प्रियालापेन तास्तिस्रः, प्रोत्साह्य स्वयमाययौ / महीभुजः सभास्थानं, मन्त्रमासूत्र्य चेतसा // 20 // XXXXXXXXXXXXXXX

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