Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi
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________________ भविष्यदत्त चरित्रम् पञ्चदशमोऽ 121 एवं विमृशति क्षमापे, मनोवेगः समाययो / दैवानुल्याद्विद्याभृत्, प्रतीहारनिवेदितः॥ 63 // देव! द्वारे जनः कश्चित, सुरूपः स्फारविक्रमः / किरीटी कुण्डली दिव्य-वेषः सैव समीक्ष्यते // 64 // किमत्राऽशनिवेगोऽऽगात, माणिभद्रोऽथवा स्मृतः / क्रीडातुरः स्फुरत्कान्तिः, सुरः प्रणयभासुरः // 65 / / नृपाज्ञया प्रतीहारस्तं मावेशयदन्तरे / डुढौके दिव्यवस्वादि, विद्याभृन्नृपतेः पुरः॥६६॥ / दत्तासनः स सन्मानं, नृपेणाऽऽलापि साम्मतम् / कुतः प्राप्तोऽसि कस्त्वं वाऽऽगमस्ते केन हेतुना // 67 // तेनाऽभ्यधायि निध्याय, मनोवेगोऽस्मि भूपते ! / वैतादयवासी विद्याभृदाऽऽयातः श्रमणाझया // 68 // सूनुर्धनपतेर्मात्रा, प्रसूतः कमलाख्ययया / धत्से चित्ते भविष्यायाः, प्रियः किञ्चित्तदीहिताम् // 69 // संकेतेनाऽमुनाऽमैषि, तदहं साधुनाऽधुना / समादेशि विधेयं यत्करवाणि तदाज्ञया // 70 // आनन्दाश्रुभृते नेत्रे, कुर्वन्नुर्वीपति गौ / त्वदुक्तं युक्तमेवाऽस्ति, मष्टव्योऽस्ति भवान्मया // 71 // दृश्यसे परमर्द्धिस्त्वं, किं ममादेशमीहसे / स माह पूर्वसम्बन्धात्तद्वक्ष्यामि सविस्तरम् // 72 / / देव्या दोहदसम्पूत्ति, ज्ञापितः खेचरस्ततः / रचयामास कैलास-धवलं सुरमन्दिरम् // 73 // तं विभाव्य समासन्न, विमानं श्रेष्ठिभूनपः / भूपतिममुखान्सर्वान, ज्ञापयामास सादरः // 74 // पुरश्रशारणापूर्वमपूर्वजनितोत्सवैः / दानं ददानः स्वाऽभीष्टं, मार्गणेभ्यः स सभ्यधीः // 75 // महासिन्धुरमारुह्य, सेनया सह साहसी / विभूत्या परया पौरान्मोदयन्निर्ययौ पुरात् // 76 // SUSILARRESXXXXXXXXXXX

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