Book Title: Bhavishyadutta Charitram
Author(s): Meghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
Publisher: Mafatlal Zaverchand Gandhi

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Page 132
________________ मविण्यदचचरित्रम 120 पञ्चदशमोऽ विकारः अन्योऽन्यबहुमानेन, रक्षित्वा कतिचिदिनान् / दत्वा सकोसैन्यादि, युवराज व्यसञ्जयत // 49 // गच्छदिरस्य सामन्तैः, पथि पौरुषवर्णना / पारेभेऽनन्यसामान्य-सौजन्यात्तिलकेशितुः // 50 // अवधिः शौर्यवर्याणां, निधिः सौन्दर्यसंपदाम् / जलधिर्गुणरत्नानां, बुद्धीनां वासमन्दिरम् // 51 // आकरः सर्वविद्यानां, भास्करः पुण्यतेजसां / निशाकरः कलानां हि, भविष्योऽन्विष्यते भुवि // 52 // इदृशं नररत्नं हि, भाग्यादेव भुवः प्रभो / संजायते स्वविषये, विषमापन्निवारणम् // 53 // तैः पोतनपुरेशोऽपि, गत्या व पितः पुरः / कुशलेनाऽऽगमः सूनोः, पौरानन्दनदायिनः // 54 // भविष्यस्यापि साम्राज्य, भुञ्जानस्य नयोदयात् / कियानपि व्यतीयाय, समयः क्रमयोगतः // 55 // भवदत्तमुतायाश्च, गर्भः पादुरभूच्छुभः / तस्याऽनुभावतः साऽपि, प्रपेदे दोहदं ददि // 56 // वासवेश्मनि सा भर्ना, पृष्टा देवि ! किमीहसे / यथेच्छं कथय स्वच्छाऽऽशये ! किं दुर्बलाऽसि भो! // 57 // तिलकद्वीपमभ्येत्य चैत्पेऽष्टमजिनप्रभोः / पूजया रजयामि स्वं, मनस्तन्नमनाहतम् // 58 // भविष्यभूपतिः श्रुत्वा, तद्गिरं व्याकुलोऽभवत् / पयोधिलङ्घनद्वीप-गमनोपायचिन्तया // 59 // पूर्व गतस्य दैवेन, ममाऽभून्महती कथा / प्रत्यागमनसन्देहो, बन्धुदत्तस्य कैतवात् // 6 // तदाऽच्युतेन्द्रनिर्देशाद्विमानेऽप्यविरुद्ध मां / समानयन्माणिभद्रा, क्षेत्रेशः स्वजना-लयम् // 61 // साम्पतं गमनं तत्र, केन सम्भाव्यते मम / दोहदं पूर्यते नास्यास्तदा स्यां पुरुषाधमः // 62 //

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