Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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कपायप्रकरणम् ]
द्वितीयो भागः।
अथवा-नीलोफर और काकोलीको शीतल कैथ और सुपारीकी जड़ (जड़की छाल) और जलसे पीसकर दूधमें मिलाकर पिलाना चाहिए। .खीलोंको शीतल जलसे पीस, दूधमें मिलाकर और
इल प्रयोगोंसे गर्भिणीका शूल शान्त, और खांडसे मीठा करके पिलाना चाहिए । गर्भ स्थिर होता है।
इससे गर्भविकारज शूल शीघ्र ही शान्त हो जाता है। (प्र. वि... शहद इतना डालना चाहिए कि दूध मीठा हो जाय । द्वितीय प्रयोगमें दूधको । मिश्रीसे मीठा कर लेना चाहिए ।)
अमे तु यदा मासि गर्भ भवति वेदना ।
तदा पिष्वा तु धन्याकं पाययेत्तण्डुलाम्बुना ॥ षष्ठे मासि यदा गर्भ वेदना जायते तथा।
शूलं निवर्तते तेन गर्भः सन्धार्यते स्त्रिया । मातुलुङ्गस्थ बीजानि प्रियङ्गचन्दनोत्पलम् ॥
एवंपलाशस्पदलंसुपिउंसपीय तोयेन सुशीतलेन।। क्षीरेणालोड्य पातव्यं गर्भशूलनिवारणम्।
अत्यन्त घोराष्टममासगर्भव्यथातुरा यान्ति तथा प्रियालबीजानि मृद्वीकालाजसक्तवः ॥
सुखं तरुण्यः॥ एतत्सुशीतलं काले पीत्वा च सुखमश्नुते ॥
यदि गर्भिगीको अष्टम मासमें पीड़ा उत्पन्न हो यदि षष्ठ मासमें गर्भिणीको पीडा उत्पन्न हो तो चावलोंके पानीमें धनिया पीस कर पिलाना तो निम्नलिखित दो प्रयोगोंमेंसे कोई एक सेवन
चाहिए । अथवा शीतल जलके साथ ढाक (पलाश) कराना चाहिए।
के पत्ते पीस कर पीनेसे भी अष्टम मासमें होने वाली (१) मातुलुङ्ग (बिजौरे) नीबूके बीज, फूल अत्यन्त भयङ्कर गर्भव्यथा शान्त हो जाती है। प्रियङ्गु, लाल चन्दन और नीलोफरको दुध पीसकर पिलावें।
गर्भिण्या नवमे मासि यदा भवति वेदना । (२) पियाल बीज (चिरौंजी ), मुनक्का, और
एरण्डमूलं काकोलीं पिष्ट्वा शीतोदकेन च ।। खीलोंके सतूको शीतल जलमें मिलाकर यथा समय पिलाना चाहिए।
पीत्वा शूलाद्विमुच्यते तदा नारी न संशयः ।
तथा पलाश बीजश्च सकाकोलीकुरण्टकम् ।। सप्तमे शतपुत्रीश्च मृणालसहितां पिबेत् ।
भक्तेन बारिणा पिष्ट्वा गर्भशूलं व्यपोहति ॥ पिटाक्षीरेण शुला गर्भिणी या सुखार्थिनी॥ नवम मासमें गर्भिगीको वेदना होने पर अरकपित्थक्रमुकान्मूलं सलाजं शर्करायुतम् । • ण्डमूल, और काकोलीको शीतल जलसे पीसकर शीततोयेन संपिट क्षीरेणालोडय पाययेत॥ (पानीके साथ) पिलानेसे अवश्य लाभ होता है । पीत्वा हन्त्य(?) बला शीघ्रं शूलं गर्भसमुद्भवम्॥ अथवा----ढाकके बीज (ढक पन्ने), काकोली
___ सप्तम मासमें गर्भिगीको शूल-शान्तिके लिए और काले बासेको चावलोंके पानीके साथ पीसकर शतावर और कमलनालको दूधमें पीसकर, अथवा- पीनेसे भी गर्भशूल शान्त होता है ।
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