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-श १३ उ. ४ पनास्तिकायमय लोक
व्यापक) है. एवं लोकाकाश के समान असंख्यात प्रदेशी है । काल की अपेक्षा त्रिकाल स्थायी है । ध्रुव, नित्य, शाश्वत, अक्षय, अव्यय और अवस्थित है । भाव की अपेक्षा वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श रहित अरूरी है, जड़ है । गुण की अपेक्षा गति गुण वाला है।
अधर्मास्तिकाय का वर्णन धर्मास्तिकाय के समान है । गुण की अपेक्षा यह स्थिति
गुण वाला है।
आकाशास्तिकाय का वर्णन धर्मास्तिकाय के समान है । किन्तु क्षेत्र की अपेक्षा लोकालोक व्यापी है, अनन्त प्रदेशी है । लोकाकाश असंख्यात प्रदेशी है । गुण की अपेक्षा अवगाहना गुण वाला है । जीवों और पुद्गलों को अवकाश देना ही इसका गुण है । आकाशास्तिकाय का एक प्रदेश, एक परमाणु से भी पूर्ण है और दो परमाणुओं से भी वह पूर्ण है । उसी आकाश प्रदेश में सौ परमाणु भी समा सकते हैं और जो आकाश प्रदेश, सौ करोड़ परमाणुओं से पूर्ण है, उसी एक आकाश प्रदेश में हजार करोड़ परमाणु भी समा सकते हैं। जैसे कि-एक मकान में एक दीपक रखा है, वह उसके प्रकाश से भरा हुआ है । यदि दूसरा दीपक भी वहाँ रखा जाय, तो उसका प्रकाश भी उसी मकान में समा जाता है। इसी प्रकार सौ यावत् हजार दीपक भी उसमें रख दिये जायें, तो उनका प्रकाश भी उसी में समा जाता है, बाहर नहीं निकलता । इसी प्रकार पुद्गलों के परिणाम की विचित्रता होने से एक, दो, संख्यात, असंख्यात यावत् अनन्त परमाणुओं मे पूर्ण, एक आकाश प्रदेश में एक से लेकर अनन्त परमाणु तक समा सकते हैं। इसी बात की स्पष्टता के लिये टीकाकार ने एक दूसरा दृष्टान्त भी दिया है-औषधि विशेष से परिणमित एक तोले भर पारद की गोली, सौ तोले मोने की गोलियों को अपने में ममा लेती है । पारे रूप में परिणत उस गोली से औषधि विशेष का प्रयोग करने पर, वह तोले भर पारे की गोली पृथक हो जाती है और वह सौ तोले भर सोना पृथक् हो जाता है । यह सब पुदगल परिणामों की विचित्रता के कारण होता है । इसी प्रकार एक आकाश प्रदेश, जो कि एक परमाणु से भी पूर्ण है, उसी पर अनन्त परमाणु भी समा सकते हैं।
____जीवास्तिकाय-द्रव्य की अपेक्षा अनन्त द्रव्य रूप है, क्योंकि पृथक्-पृथक् द्रव्य रूप जीव अनन्त हैं। क्षेत्र की अपेक्षा लोक परिमाण है । एक जीव की अपेक्षा जीव असंख्यात प्रदेशी है और सभी जीवों के प्रदेश अनन्त हैं । काल की अपेक्षा आदि अन्त रहित है (ध्रुव, गाश्वत और नित्य है) । भाव की अपेक्षा वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श रहित है, अरूपी है तथा चेतना गुण वाला है । गुण की अपेक्षा 'उपयोग' गुण वाला है।
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