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भगवती सूत्र - ज. १३४ पंचास्तिकायमय लोक
प्रश्न - केवइएहिं आगामत्थिकाय पुच्छा । उत्तर - मत्तहिं ।
प्रश्न - केवइ एहिं जीवत्थि० ?
उत्तर - मेमं जहा धम्मत्थिकायस्स ।
२३ प्रश्न - एगे भंते! पोग्गलत्थिकायपणसे केवइएहिं धम्मस्थि
काय एमेहिं० ?
२३ उत्तर - एवं जहेब जीवत्थिकायस्स ।
कठिन शब्दार्थ -- पुट्ठे- --स्पृष्टः ।
भावार्थ - १९ प्रश्न - हे भगवन ! धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश, कितने धर्मास्तिकाय के प्रदेशों द्वारा स्पष्ट ( स्पर्शा हुआ) है ?
१९ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य पद में तीन प्रदेशों से और उत्कृष्ट पद छह प्रदेशों से स्पृष्ट हैं ।
में
स्पृष्ट है ?
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प्रश्न - हे भगवन् ! धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेशों से
उत्तर - हे गौतन ! जघन्य पद में चार और उत्कृष्ट पद में सात अधर्मास्तिकाय के प्रदेशों से स्पृष्ट है ।
प्रश्न- वह आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट है ? उत्तर- हे गौतम ! वह सात प्रदेशों से स्पृष्ट है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! वह जीवास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट है ? उत्तर - हे गौतम! अनन्त प्रदेशों से स्पृष्ट है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेशों से स्पृष्ट है ? उत्तर - हे गौतम! अनन्त प्रदेशों से स्पष्ट है ।
प्रश्न - हे भगवन् ! अद्धाकाल के कितने समयों से स्पृष्ट है ?
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