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भगवती सूत्र-श. १३ उ. ४ प्रदेशों की अयगाढ़ता
२०१७
भावार्थ-३७ प्रश्न-हे भगवन ! जहाँ पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश अवगाढ़ होते है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ?
३७ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् एक या दो प्रदेश अवगाढ़ होते हैं। इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय के विषय में तथा शेष वर्णन धर्मास्तिकाय के समान कहना चाहिये।
३८ प्रश्न-हे भगवन ! जहां पुदगलास्तिकाय के तीन प्रदेश अवगाढ़ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ?
३८ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् एक, दो या तीन प्रदेश अवगाढ़ होते हैं । इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय के विषय में भी कहना चाहिये, शेष जीवा स्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अद्धासमय के विषय में, जिस प्रकार दो पुद्गल प्रदेशों के कथनानुसार तीन पुद्गल प्रदेशों के विषय में भी कहना चाहिये और आदि के तीन अस्तिकायों के विषय में एक-एक प्रदेश बढ़ाना चाहिये । शेष के विषय में जिस प्रकार दो पुद्गल प्रदेशों के सम्बन्ध में कहा है, उसी प्रकार यावत् दप्त प्रदेशों तक कहना चाहिये । अर्थात् जहाँ पुद्गलास्तिकाय के दस प्रदेश अबगाढ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय आदि का कदाचित् एक, दो, तीन यावत् दस प्रदेश अवगाढ़ होते हैं । जहाँ पुद्गलास्तिकाय के संख्यात प्रदेश अवगाढ़ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय आदि का कदाचित् एक, दो यावत् दस प्रदेश, यावत् संख्यात प्रदेश अवगाढ़ होते हैं । जहाँ पुद्गलास्तिकाय के असंख्य प्रदेश अवगाढ़ होते हैं, वहां धर्मास्तिकाय आदि का कदाचित् एक प्रदेश यावत् संख्य प्रदेश और असंख्य प्रदेश अवगाढ़ होते हैं । जिस प्रकार पुद्गलास्तिकाय के असंख्य प्रदेशों के विषय में कहा, उसी प्रकार अनन्त प्रदेश के विषय में भी कहना चाहिये । अर्थात् जहाँ पुद्गलास्तिकाय के अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं, वहाँ धर्मास्तिकाय आदि का कदाचित् एक प्रदेश, यावत् संख्यात प्रदेश और असंख्य प्रदेश अवगाढ़ होते हैं।
३९ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ एक अद्धा-समय अवगाढ़ होता है, वहाँ
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