Book Title: Bhagvati Sutra Part 05
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 514
________________ शतक १७ उद्देशक नरक पृथिवीकायिक जीवों का मरण-समुद्घात १ प्रश्न - पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते । किं पुवि उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेजा, पुवि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेजा ? १ उत्तर - गोयमा ! पुव्वि वा उववजित्ता पच्छा संपाउणेजा, पुत्रि वा संपाउणत्ता पच्छा उववज्जेजा ? प्रश्न - सेकेण्डेणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ? उत्तर - गोयमा ! पुढविकाइयाणं तओ समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेणासमुग्धाए, कसायसमुग्धाए, मारणंतियसमुग्धाए । मारणंतियसमुग्धारणं समोहणमाणे देसेण वा समोहणइ, सव्वेण वा समोहण, देसेण वा समोहणमाणे पुवि संपाउणित्ता पच्छ उववज्जिज्जा, सब्वेणं समोहणमाणे पुव्वि उववज्जेत्ता पच्छा संपाउणेज्जा; से तेणट्टेणं जाव उववज्जिज्जा । २ प्रश्न - पुढविकाइए णं भंते ! इमीले रयणप्पभाए पुढवीए जाब समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि० १ २ उत्तर एवं चेव ईसाणे वि एवं जाव अच्चुय गेविज Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org


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