Book Title: Bhagvati Sutra Part 05
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 507
________________ शतक १७ उद्देशक ४ आत्म-स्पृष्ट क्रिया १ प्रश्न-तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे जाव एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कजइ ? १ उत्तर-हंता, अस्थि । २ प्रश्न-सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ, अपुट्ठा कज्जइ ? २ उत्तर-गोयमा ! पुट्टा कज्जइ, णो अपुट्ठा कजइ । एवं जहा पढमसए छठ्ठद्देसए जाव णो अणाणुपुब्धिकडा' ति वत्तव्वं सिया, एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं जीवाणं एगिदियाण य णिव्याघारणं छदिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं, सिय चउदिसि, सिय पंचदिमि; सेसाणं णियमं छदिसि । ३ प्रश्न-अत्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कजइ ? ३ उत्तर-हंता, अस्थि । ४ प्रश्न-सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ, अपुट्ठा कज्जइ ? । ४ उत्तर-जहा पाणाइवाएणं दंडओ एवं मुसावारण वि, एवं अदिण्णादाणेण वि, मेहुणेण वि, परिग्गहेण वि । एवं पए पंच दंडगा। कठिन शब्दार्य-अणाणुपुग्विकडा-अनुक्रम रहित किये हुए । भावार्थ-१ प्रश्न-उस काल उस समय में राजगृह नगर में गौतम स्वामी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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