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भगवती सूत्र - १. १३३८ पंचम ठोक
पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेशों की स्पर्शना के विषय में चूर्णिकार ने इस प्रकार विवेचन किया है- 'यद्यपि लोकान्त में द्विप्रदेशी स्कन्ध, एक प्रदेश को अवगाहित कर रहा हुआ है, तथापि 'प्रतिद्रव्य की अवगाहना होती है इस नय की विवक्षा में अवगाहित प्रदेश एक होते हुए भी भिन्न मानने से वह दो प्रदेशों से स्पष्ट है, तथा उसके ऊपर या नीचे जो प्रदेश हैं, वह भी पूर्वोक्त नय मतानुसार दो प्रदेशों से स्पृष्ट है। पास के दो प्रदेश, एक-एक अणु को स्पर्श करते हैं । इस प्रकार पुद्गलास्तिकाय का द्विप्रदेशी स्कन्ध, धर्मास्तिकाय के छह प्रदेशों से स्पृष्ट है । यदि पूर्वोक्त प्रकार से नय की विवक्षा न की जाय, तो द्वयणुक स्कन्ध की चार प्रदेशों से जघन्य स्पर्शता होती है । वृत्तिकार का कथन इस प्रकार है- 'छह कोष्ठक बना कर बीच में जो दो बिन्दु हैं उनको परमाणु समझना चाहिये। उनमें से इस ओर का परमाणु इस ओर के धर्मास्तिकाय के प्रदेश से स्पृष्ट है और दूसरी ओर का परमा. दूसरी ओर के धर्मास्तिकाय के प्रदेश से स्पृष्ट है । इस प्रकार दो प्रदेशों से तथा दो प्रदेशों में स्थापित दो परमाणु, उनके आगे के दो प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं । इस प्रकार ये चार हुए और दो अवगाढ़ प्रदेशों का स्पर्शना होती है । इस प्रकार छह प्रदेशों से स्पर्शना होती है । उत्कृष्ट पद में वारह प्रदेशों में स्पर्शना होती है । यथा द्विप्रदेशावगाढ़ होने मे दो प्रदेश, ऊपर के दो प्रदेश, नीचे के दो प्रदेश, दोनों ओर के दो प्रदेश और उत्तर-दक्षिण के दो-दो प्रदेश, इस प्रकार बारह प्रदेशों से स्पर्शना होती है ।
आकाशास्तिकाय के बारह प्रदेशों से स्पर्शना होती है । लोकान्त में भी आकाय प्रदेश विद्यमान होने में इसमें जघन्य पद नहीं होता ।
पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश, जघन्य पद में धर्मास्तिकाय के आठ प्रदेशों से स्पृष्ट होते हैं। क्योंकि वे तीन प्रदेश, एक प्रदेशावगाढ़ होते हुए भी पूर्वोक्त नय-मतानुसार अवगाढ़ तीन प्रदेश, नीचे के तथा ऊपर के तीन प्रदेश और दोनों ओर के दो प्रदेश, इस प्रकार धर्मास्तिकाय के आठ प्रदेशों से स्पर्शना होती है । यहां जघन्य पद में सब जगह विवक्षित प्रदेशों को दुगुना करके दो और मिलावे, उतने प्रदेशों से स्पर्शना होती है । उत्कृष्ट पद में विवक्षित प्रदेशों को पाँच गुणा करके दो और मिलावे, उतने प्रदेशों से स्पर्शना होती है । जैसे - एक प्रदेश को दुगुना करने पर दो होते हैं, उनमें दो और मिलाने पर चार होते हैं, इस प्रकार जघन्य पद में एक प्रदेश की चार प्रदेशों से स्पर्शना होती है । उत्कृष्ट पद में एक प्रदेश को पाँच गुणा करने पर पाँच होते हैं, उनमें दो और मिलाने पर सात होते हैं । इस प्रकार उत्कृष्ट पद में एक प्रदेश, सात प्रदेशों से स्पृष्ट होता है। इसी प्रकार दो प्रदेश. तीन प्रदेश आदि के विषय में भी जानना चाहिये ।
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