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भगवती सूत्र-श. १३ उ. ४ प्रदेशों की अवगाढ़ता । -
कठिन शब्दार्थ-जत्थ णं-जहां, तत्थ-तहां (वहां), ओगाढा-अवगाद ( रहा हुआ )।
भावार्थ-३२ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ (रहा हुआ) है, वहाँ धर्मास्तिकाय के दूसरे कितने प्रदेश अवगाढ़ हैं ?
३२ उत्तर-हे गौतम ! एक भी प्रदेश अवगाढ़ नहीं है। प्रश्न-अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ हैं ? उत्तर-एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते है ? उत्तर-एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर--अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं। प्रश्न-पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते है ? उत्तर-अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? प्रश्न-कितने अद्धा-समय अवगाढ़ होते हैं ? । ' उत्तर-अद्धा-समय कदाचित् अवगाढ़ होते हैं, कदाचित् नहीं होते। यदि अवगाढ़ होते हैं, तो अनन्त अद्धा-समय अवगाढ होते हैं।
. ३३ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ?
३३ उत्तर-हे गौतम ! वहाँ एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ?
उत्तर-एक भी अवगाढ़ नहीं होता । शेष कथन धर्मास्तिकाय के समान जानना चाहिये।
का ३४ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ आकाशास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ?
३४ उत्तर हे गौतम ! वहाँ धर्मास्तिकाय के प्रदेश कदाचित् अवगाढ़ होते हैं, कदाचित् अवगाढ़ नहीं होते। यदि अवगाढ़ होते हैं, तो एक प्रदेश अवगाढ़
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