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________________ २२१२ भगवती सूत्र-श. १३ उ. ४ प्रदेशों की अवगाढ़ता । - कठिन शब्दार्थ-जत्थ णं-जहां, तत्थ-तहां (वहां), ओगाढा-अवगाद ( रहा हुआ )। भावार्थ-३२ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ धर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ (रहा हुआ) है, वहाँ धर्मास्तिकाय के दूसरे कितने प्रदेश अवगाढ़ हैं ? ३२ उत्तर-हे गौतम ! एक भी प्रदेश अवगाढ़ नहीं है। प्रश्न-अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ हैं ? उत्तर-एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते है ? उत्तर-एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर--अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं। प्रश्न-पुद्गलास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते है ? उत्तर-अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? प्रश्न-कितने अद्धा-समय अवगाढ़ होते हैं ? । ' उत्तर-अद्धा-समय कदाचित् अवगाढ़ होते हैं, कदाचित् नहीं होते। यदि अवगाढ़ होते हैं, तो अनन्त अद्धा-समय अवगाढ होते हैं। . ३३ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ अधर्मास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? ३३ उत्तर-हे गौतम ! वहाँ एक प्रदेश अवगाढ़ होता है । प्रश्न-अधर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-एक भी अवगाढ़ नहीं होता । शेष कथन धर्मास्तिकाय के समान जानना चाहिये। का ३४ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ आकाशास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? ३४ उत्तर हे गौतम ! वहाँ धर्मास्तिकाय के प्रदेश कदाचित् अवगाढ़ होते हैं, कदाचित् अवगाढ़ नहीं होते। यदि अवगाढ़ होते हैं, तो एक प्रदेश अवगाढ़ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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