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________________ भगवती मूत्र-स. १६ उ. ८ प्रदेशों की अवगादला . होता है। इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय के प्रदेशों के विषय में भी जानना चाहिये। प्रश्न-आकाशास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-एक भी अवगाढ़ नहीं होता। प्रश्न-जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ हो हैं ? उत्तर-कदाचित् अवगाढ़ होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि अवगाढ़ होते हैं, तो अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं। इसी प्रकार यावत् अद्धा-समय तक कहना चाहिये। . ३५ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ जीवास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? ३५ उत्तर-वहाँ एक प्रदेश अवगाढ़ होता है। इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय के प्रदेशों और आकाशास्तिकाय के प्रदेशों के विपत्र में भी जानना चाहिये। प्रश्न-वहाँ जीवास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़ होते हैं ? उत्तर-अनन्त प्रदेश अवगाढ़ होते हैं । शेष सभी कथन धर्मास्तिकाय के समान जानना चाहिये। ३६ प्रश्न-हे भगवन् ! जहाँ पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश अवगाढ़ होता है, वहाँ धर्मास्तिकाय के कितने प्रदेश अवगाढ़होते हैं ? .. उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार जीवास्तिकाय के प्रदेशों के विषय में कहा, उसी प्रकार सभी कथन करना चाहिये । ३७ प्रश्न-जत्थ णं भंते ! दो पोग्गलस्थिकायपएसा ओगाढा तत्य केवइया धम्मत्थिकाय ? ३७ उत्तर-सिय एक्को सिय दोण्णि, एवं अहम्मस्थिकायस्स वि, एवं आगासस्थिकायस्स वि, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स । ३८ प्रश्न-जत्थ णं भंते ! तिणि पोग्गलस्थिकायपएसा तत्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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